पाकिस्तान में जावेद अख्तर की खरी-खरी

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    पाकिस्तान को उम्मीद नहीं रही होगी कि गीतकार, शायर और नामी संवाद लेखक जावेद अख्तर उसे इस तरह लताड़ेंगे. औपचारिकता निभाते हुए मीठी-मीठी बातें करने की बजाय डंके की चोट पर सच बोलना हमेशा अच्छा होता है. प्रसिद्ध शायर फैज अहमद फैज की स्मृति में लाहौर में आयोजित 7 वें फैज फेस्टिवल में जब एक व्यक्ति ने जावेद अख्तर से पूछा कि आप कई बार पाकिस्तान आ चुके हैं. जब आप वापस जाएंगे तो क्या अपने लोगों से कहेंगे कि पाकिस्तानी अच्छे लोग है, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हम एक-दूसरे पर इल्जाम न लगाएं. आजकल जो फिजा इतनी गरम है, वो कम होनी चाहिए.

    हमने तो नुसरत फतेह अली खान और मेहंदी हसन जैसी हस्तियों के बड़े-बड़े प्रोग्राम भारत में करवाए लेकिन आपके मुल्क में तो लता मंगेशकर का एक भी प्रोग्राम नहीं हुआ. हम तो मुंबई के लोग हैं. हमने देखा कि हमारे शहर पर कैसा हमला हुआ था. हमलावर नार्वे से तो नहीं आए थे, न ही इजिप्ट से आए थे. वो लोग आपके मुल्क में अभी भी घूम रहे हैं. ये शिकायत हर हिंदुस्तानी के दिल में है तो पाकिस्तानियों को बुरा नहीं मानना चाहिए. जावेद अख्तर ने पाकिस्तान को जिस तरह उसी की जमीन पर आईना दिखाया वह प्रशंसनीय या काबिले तारीफ है. पाकिस्तान की असलियत उन्होंने उजागर कर दी और यह भी संकेत दे दिया कि भारत उसकी रग-रग से वाकिफ है. जावेद अख्तर ने सिर्फ इशारा किया लेकिन पाकिस्तान की मक्कारी और भारत के प्रति उसकी जलन-कुढ़न किसी से छिपी नहीं है.

    भारत की आजादी के सिर्फ 2 महीने बाद 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर हड़पने के लिए पाकिस्तान ने कबायली लुटेरों को भेजा था जिन्हें पाकिस्तानी सेना की मदद थी. तब भारतीय सेना ने शौर्य दखाते हुए काश्मीर से हमलावरों को खदेड़ा था. तब श्रीनगर भी मुश्किल से बच पाता था. आज भी पाकिस्तान पीओके पर अवैध कब्जा किए बैठा है. 1965 और 1971 के युद्धों के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार था. 1999 में पाकिस्तान ने बहुत बड़ी दगाबाजी की. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी दोस्ती का पैगाम लेकर बस से लाहौर पहुंचे. तभी वहां के सेना प्रमुख जनरल परवेज ने कारगिल में हमला करवा दिया. उससमय भी अभिनेता दिलीपकुमार ने फोन पर पाक पीएम नवाज शरीफ को खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि ‘मियां आपसे हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी.’

    पाकिस्तान ने जब देखा कि वह आमने सामने की लड़ाई में भारत से जीत नहीं सकता तो उसने आतंकवाद को अपना हथियार बनाया. आतंकियों को प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत में घुसपैठ कराने और खूनखराबा करने के लिए प्रेरित किया. आतंकवाद को पाकिस्तान ने देश की नीति या स्टेट पॉलिसी के रूप में अपनाया. संसद पर आतंकी हमला, अक्षरधाम मंदिर पर हमला, मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुआ भीषण आतंकवादी हमला पाकिस्तान की दरिंदगी की मिसाल है.

    कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग की गई. अब वहीं आतंकवाद पाकिस्तान के लिए चुनौती बन गया है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पाक में उत्पात मचाने लगा है. पेशावर मिलिट्री स्कूल पर हमला हुआ. पुलिस थानों पर हमले हो रहे हैं. पाक ने जिस आतंकवाद रूपी सांप को आस्तीन में पाला, वही उसे डराने लगा है. पाकिस्तान कश्मीर की रट लगाना छोड़ दे और अच्छे पड़ोसी के समान शांति से रहने का वादा करे तो संबंधों में तब्दीली आ सकती है. खुद अटलबिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम चाहे जो बदल लें अपना पड़ोसी नहीं बदल सकते. हमें एक साथ ही रहना है.