भाषावार प्रांत रचना के बावजूद देश के विभिन्न राज्यों के बीच सीमा विवाद, नदी पानी विवाद जैसे मुद्दे समय- समय पर सुलगते रहते हैं. यह ऐसी जटिल समस्या है जिसका सर्वमान्य हल खोज पाना मुश्किल है. राष्ट्रीय मुद्दों पर केन्द्र सरकार कुछ कर सकती है लेकिन जब क्षेत्रीय हितों से संबंधित भावनात्मक मुद्दों पर पड़ोसी राज्यों के बीच टकराव बढ़ने लगे तो ऐसी विषम स्थिति में केन्द्र भी क्या कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय परिषद बी ऐसे मामलों का समाधान खोज पाने में विफल रहती है. खासतौर पर महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद काफी पुराना और जटिल है. कर्नाटक अपने मराठी भाषी इलाके के लोगों के साथ निरंतर अन्याय करता आ रहा है. उन्हें दुय्यम दर्जे का नागरिक माना जाता है और वहां मराठी स्कूलें बंद कर कन्नड भाषा लायी जाती है. बेलगम (बेलगामी) कारवार और निपानी मराठी बहुल क्षेत्र हैं वहां की जनता महाराष्ट्र में शामिल होना चाहती है. महाराष्ट्र एकीकरण समिति वहां बार-बार चुनाव जीत चुकी है. यह एक प्रकार का जनमत संग्रह है कि इन इलाकों को कर्नाटक के चंगुल से आजाद कर महाराष्ट्र में शामिल किया जाए. यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक न होकर भावनात्मक है. महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ही राज्यों में एक पार्टी की सरकार होने पर भी सीमा विवाद उलझता रहा है. कभी दोनों राज्यों में कांग्रेस की सत्ता थी तो अभी दोनों में बीजेपी की सरकारें हैं. कर्नाटक के सीम बसवराज बोम्मई और महाराट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस एक ही पार्टी के नेता होने पर भी मसले के समाधान की कोई गुंजाइश बनती नजर नहीं आती.
बोम्मई सरकार की ज्यादती
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीमा विवाद के मुद्दे पर महाराष्ट्र और कर्नाटक के नेताओं को भड़काऊ बयानबाजी न करने तथा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करने को कहा था. इतना धैर्य कही नजर नहीं आता. फिर यह भी शंका है कि क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना बंधनकारी रहेगा? यदि एक राज्य मान भी गया तो दूसरा उसका विरोध कर सकता है. अमित शाह के परामर्श के बाद महाराष्ट्र सरकार कुछ संयम बरत रही है लेकिन विपक्षी महाविकास आघाडी के नेता पीछे नहीं हट रहे है. बेलगम में महाराष्ट्र एकीकरण समिति द्वारा आयोजित मराठी भाषा महासम्मेलन में भाग लेने जा रहे महाविकास आघाड़ी के नेताओं पर कर्नाटक पुलिस ने लाठीचार्ज किया. यह दुखद घटना महाराष्ट्र-कर्नाटक बार्डर पर कोल्हापुर जिले के कागल और निपानी सीमा के बीच दूधगंगा पुल पर हुई. इसका महाराष्ट्र के नेताओं ने बसवराज बोम्मई तथा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शहा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. एनसीपी के वरिष्ठ नेता हसन मुश्रीफ ने आरोप लगाया कि कर्नाटक पुलिस ने उनपर भी लाठी प्रहार किया. क्या बोम्मई को इस तरह की सख्ती बरतने का आदेश दिया होगा? ऐसे शक्ति प्रदर्शन से तनाव और बढ़ेगा. एनसीपी नेता अजित पवार ने आरोप लगाया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के भड़काऊ बयानों की वजह से दोनों राज्यों के हालात बिगड़े हैं. मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि बसवाराज बोम्मई के कथित ट्वीट की जांच होगी. इस मामले में अमित शाह ने दोनों राज्यों के 3 मंत्रियों वाली जांच समिति गठित की हैं. उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के विकास के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी. सीमा पर बसे 800 से अधिक गांवों के लोगों को निवासी प्रमाणपत्र व अन्य सुविधाएं दी जाएगी.