
देखा गया है कि केंद्र और राज्य में समान पार्टी की सरकार रहने से उचित समन्वय के साथ चहुंमुखी विकास होने लगता है. यूपी, गुजरात, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों में यही हो रहा है. जहां भी बीजेपी या एनडीए की सरकारें हैं, वहां केंद्र और राज्य के सहयोग से प्रगति को पंख लग जाते हैं. वहां फंड की कमी नहीं होती तथा विकास योजनाएं भी तत्परता से लागू होती हैं. मुख्य वजह यह रहती है कि राज्य सरकार का केंद्र के साथ किसी प्रकार का टकराव नहीं रहता और आपसी समझ अच्छी रहती है. केंद्र और राज्य दोनों की ओर से कोई अड़ंगा नहीं डाला जाता, बल्कि योजनाओं और विकास कार्यक्रमों को समय सीमा के भीतर उचित रूप से पूरा करने के प्रयासों में कमी नहीं की जाती. यह डबल इंजिन की सरकार का फायदा है. अब महाराष्ट्र में भी ऐसी ही अनुकूल स्थिति आई है. विकास के असंतुलन से लेकर महंगाई, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या जैसे कितने ही ज्वलंत प्रश्नों से राज्य जूझ रहा है लेकिन शिंदे गुट और बीजेपी की सरकारें आने के बाद उम्मीद जाग उठी है कि महाराष्ट्र में अच्छे दिन आएंगे.
पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाविकास आघाड़ी सरकार से पेट्रोल-डीजल की दर में कमी करने की अपील की थी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया था. अब बीजेपी के साथ सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बारे में जल्द फैसला लेने की घोषणा की है. इससे आम जनता को राहत मिलेगी.
किसान आत्महत्या मुक्त राज्य
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता महाराष्ट्र को आत्महत्या मुक्त राज्य बनाने की है. अन्नदाता किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा ताकि उन्हें आत्महत्या करने की नौबत न आए. यदि किसान से कर्जवसूली में सख्ती न की जाए, फसलों का उचित मूल्य समय पर दिया जाए, खेती का सीजन शुरू होने से पहले अच्छे बीज, खाद व कीटनाशक के साथ कृषि कार्य के लिए कुछ रकम उपलब्ध करा दी जाए तो उसकी चिंता दूर हो सकती है. फसल के खराब होने या उचित भाव नहीं मिलने पर मुआवजे की व्यवस्था की जा सकती है. कृषि से जुड़े सहायक उपक्रम जैसे पशुपालन, मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है. एग्रो प्रोसेसिंग उद्योग खोले जा सकते हैं तथा शीतगृहों की सुविधा बढ़ाई जा सकती है. दलालों के चंगुल में फंसे किसानों को फसल का लागत मूल्य निकालना भी मुश्किल हो जाता है.
सिंचाई योजनाएं पूरी हों
विदर्भ, मराठवाड़ा व खानदेश और कोंकण राज्य के पिछड़े इलाके हैं. विदर्भ में नदियां हैं परंतु बांध निर्माण में तेजी लाना और नहरों का जाल बिछाना जरूरी है. यहां गोसीखुर्द परियोजना 3 दशक बीत जाने पर भी पूरी नहीं हो पाई, जबकि इसके काफी बाद शुरू की गई पश्चिम महाराष्ट्र की योजनाएं तत्काल पूरी हो गईं. सिंचाई की वजह से प.महाराष्ट्र का डेढ़ एकड़ वाला किसान भी वर्ष में 3 फसलें लेता है जबकि विदर्भ, मराठवाड़ा के किसानों की खेती वर्षा पर निर्भर रहती है. नई सरकार से आशा है कि वह संतुलित विकास पर ध्यान देगी और पिछड़े क्ष्रेत्रों का बैकलॉग दूर करेगी. पिछली सरकार का ध्यान सिर्फ मुंबई-पुणे तक ही सीमित था. अब शिंदे सरकार केंद्र से पर्याप्त मदद लेकर राज्य के विकास में तेजी ला सकती है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने राज्य का सीएम रहते हुए अच्छी शुरुआत की थी जिसकी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्रशंसा की थी. अब विकास के रुके हुए प्रवाह को तेजी से आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उन पर है. जनता को नई सरकार से काफी आशा है.