गडकरी ने खुले दिल से की पूर्व PM मनमोहन सिंह की तारीफ

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    केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने काम और विकास के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं. उन्हें जो कहना होता है, स्पष्ट तौर पर कह देते हैं. अधिकांश बीजेपी नेताओं के समान वे कांग्रेस के प्रति व्यर्थ का पूर्वाग्रह व नफरत नहीं रखते. वे उन बीजेपी नेताओं से अलग है जिन्हें नेहरू गांधी परिवार और कांग्रेस की तीखी आलोचना किए या जहर उगले बगैर खाना हजम नहीं होता. 

    गडकरी को जो सही लगता है वह बेलौस तरीके से कह देते हैं. उनका राजनीति में लंबा करियर रहा है. महाराष्ट्र में मंत्री रहने के अलावा वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं इसलिए उनके बयानों में स्पष्टवादिता रहती है. वे सत्य को नहीं झुठलाते. जो बोलना है, पूरी जिम्मेदारी से डंके की चोट पर बोलते हैं. गडकरी ने प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता तथा संसदीय प्रणाली में योगदान का भी एक अवसर पर उल्लेख किया था. तब उन लोगों को बुरा लगा था जो नेहरू विरोध की अंध राजनीति करते हैं. 

    अब गडकरी ने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की सही संदर्भ में तारीफ की. उन्होंने कहा कि 1991 में तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने बारत को एक नई दिशा दिखाने का काम किया. उदार अर्थव्यवस्था के कारण देश को नई दिशा मिली जिसके लिए देश मनमोहन सिंह का ऋणी है. गडकरी ने मनमोहन की नीतियों से नब्बे के दशक में महाराष्ट्र की सड़क परियोजनाओं के लिए पैसे जुटाने में मिली मदद का भी जिक्र किया. 

    ऐसी बातों से नई पीढ़ी का ज्ञानवर्धन होता है कि 30 वर्ष पहले भी देश में कुछ अच्छे रचनात्मक कार्य हुए थे जिस कारण विकास संभव हो सका जिन्हें जानकारी नहीं है उनके दिमाग में भर दिया जाता है कि कांग्रेस ने देश को पूरी तरह बरबाद करके रख दिया था और जो कुछ भी अच्छा हुआ उसका सारा श्रेय मोदी सरकार को ही है. गडकरी ने जो संदर्भ दिया उसका तात्पर्य यह है कि कई दशकों से चली आ रही समाजवादी अर्थव्यवस्था को मनमोहन सिंह ने बदल दिया.

    उदार आर्थिक नीति से बदलाव आया था

    उदार आर्थिक नीति लागू करने से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर विकास कार्य होने लगे. अनावश्यक प्रतिबंध हट गए और बुनियादी ढांचे का विकास होने लगा. सरकार अपने सीमित संसाधनों से जो काम नहीं कर पाती थी वह निजी भागीदारी को अनुमति मिलने से होने लगा. नरसिंहराव सरकार में वित्तमंत्री रहते मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को कोटा-परमिट लाइसेंस की बंदिशों से काफी हद तक मुक्त किया. नई पीढ़ी को नहीं पता कि मनमोहन सिंह की नामी अर्थशास्त्री के रूप में ख्याति रही है. वित्तमंत्री बनने से पहले वे रिजर्व बैंक के गवर्नर थे. 

    जब 2008 में भारी मंदी आई तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने मनमोहन सिंह से पूछा था कि आपने मंदी पर कैसे काबू पाया. खुली अर्थव्यवस्था आने के पहले टेलीफोन कनेक्शन लेने और स्कूटर खरीदने के लिए महीनों प्रतीक्षा करनी पड़ती थी क्योंकि प्रोडक्शन कम था. सड़कों-पुलों के निर्माण को सरकारी क्षेत्र में रहने से गति नहीं मिल पाती थी. सरकारी व निजी भागीदारी शुरू होने पर निर्माण कार्य तेजी से हुए. अच्छी सुविधाजनक सड़कों के लिए लोग टोल देने को राजी थे. यदि मनमोहन सिंह उदार आर्थिक नीति नहीं लाते तो विकास को पंख नहीं लगते. गडकरी ने उनकी तारीफ में कोई अतिशयोक्ति नहीं की है.