विपक्षी पार्टियों को समझ लेना चाहिए कि बीजेपी सिर्फ पार्टी ही नहीं, बल्कि ऐसी मशीनरी है जो हमेशा इलेक्शन मोड में रहती है. एक चुनाव खत्म नहीं हुआ कि अगले चुनाव की तैयारियों में जोरशोर से भिड़ जाती है. इसलिए इससे मुकाबला कर पाना विपक्षी दलों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. शिवसेना उद्धव गुट के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले दिनों राज्य में मध्यावधि चुनाव की आशंका जताई थी. अब पार्टी के मुख्य प्रवक्ता व सांसद संजय राऊत ने भी दावा किया कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव कराने की तैयारी दिल्ली में शुरू हो गई है. बीजेपी के लिए चुनाव मैदान में उतरना कभी भी कठिन नहीं होता क्योंकि उसके पास अपना कैडर तैयार रहता है. सहयोग देने के लिए आरएसएस तथा हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता तत्पर रहते है. बीजेपी ने मतदाता सूची के पन्ना प्रमुख के बाद पन्ना कमेटी भी बना रखी है. हर पन्ने में 30 वोटरों के नाम रहते हैं. गुजरात चुनाव में मतदाता सूची के हर पन्ने के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसमें 5 सदस्य हैं. हर सदस्य को 6 वोट लाने की जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी ने 82 लाख पन्ना सदस्य बनाए हैं. यदि हर पन्ना सदस्य 3 वोट डलवाए तो 2.46 करोड़ वोट हो जाते हैं. यदि पन्ना सदस्यों का स्ट्राइक रेट 70 प्रतिशत भी रहा तो 1.70 करोड़ वोट मिलेंगे जो पिछले चुनाव से 30 लाख वोट ज्यादा होंगे. पन्ना कमेटी का मॉडल सीआर पाटिल लेकर आए जो कि गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष हैं. जुलाई 2020 में पन्ना कमेटी मॉडल 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में आजमाया गया था और बीजेपी सभी सीटें जीत गई थी. इस तरह अपने मजबूत चुनाव तंत्र की वजह से बीजेपी आत्मविश्वास से परिपूर्ण है. इसके अलावा जोड़तोड़ कर सत्ता हासिल करना भी बीजेपी की राजनीति का अंग है. उसने गोवा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में यही किया. राज्य की सत्तासीन पार्टी में फूट डलवाना, असंतुष्टों को साथ लेना और नई सरकार बना लेना बीजेपी का हथकंड़ा रहा है. गोवा और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बागियों को साथ लिया गया तो महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों व निर्दलीयों को साधा गया. उन्हें बीजेपी शासित राज्यों गुजरात और असम ले जाया गया और फिर महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार बना ली गई. देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मैं फिर आऊंगा. उन्होंने सचमुच आकर दिखा दिया. इसके पहले विधानपरिषद और राज्यसभा चुनाव में देवेंद्र ने उद्धव और महाविकास आघाड़ी को मात दी थी.
मजबूती से जमी रहती है
जब बीजेपी किसी राज्य में सत्ता पा लेती है तो वहां मजबूती से जमी रहती है. विपक्ष कितना भी छटपटाए उसे फिर से सत्ता नहीं मिल पाती. महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने अपनी चाणक्य जैसी चतुराई से शरद पवार जैसे दिग्गज को भी मात दे दी जो कि आघाड़ी के शिल्पकार थे. विपक्ष कितनी भी बयानबाजी करे लेकिन बीजेपी सत्ता पर अपनी पकड़ कायम रखती है, उसे छोड़ती नहीं. इस तरह बीजेपी 2 तरीकों से राज्यों में सत्ता हासिल करती है. या तो चुनाव में जीतकर अपनी सरकार बनाती है नहीं हो विपक्षी पार्टी की सरकार में फूट डालकर उसे गिराती और बागियों की मदद से अपनी सरकार बना लेती है. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के कर्ताधर्ता होने पर भी देवेंद्र फडणवीस खुद मुख्यमंत्री नहीं बने बल्कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर खुद डिप्टी सीएम बन गए. यह एक प्रकार की कूटनीतिक कुशलता ही कही जाएगी.