जानबूझकर कर्ज डुबोनेवालों की तादाद बढ़ी, बट्टे खाते में डाले गए 10 लाख करोड़

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    एक ओर तो किसानों से डेढ-दो लाख रुपए के बकाया कर्ज की सख्ती से वसूली की जाती है लेकिन दूसरी ओर ऐसे भी बड़े विलफुल डिफाल्टर हैं जो करोड़ों का कर्ज लेकर बैंक को रकम नहीं लौटाते. या तो वे कारोबार में घाटा बताकर हाथ खड़े कर देते हैं या विदेश भाग जाते हैं. कुछ ऐसे भी कारोबारी होते हैं जो एक अच्छे चलते हुए धंधे के नाम पर कर्ज लेकर उस रकम को अपने किसी दूसरे कारोबार में लगा देते हैं. 

    खुद को दिवालिया घोषित करते हुए भी उन्हें शर्म नहीं आती. जानबूझकर कर्ज की रकम हडप जाने वाले लोग समाज के जरूरतमंदों का हक छीन लेते हैं और साथ ही बैंकों से भी धोखाधड़ी करते हैं. उनकी ऐसी ओछी हरकतों से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है.

    राज्यसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने जानकारी दी कि पिछले 5 वित्त वर्षों में लगभग 10 लाख करोड़ रुपए के वसूले न जा सके ऋण को बट्टे खाते में डाला गया है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बट्टेखाते में डाली जाने वाली राशि इससे पिछले वित्त वर्ष के 2,02,781 करोड़ रुपए की तुलना में घटकर 1,57,096 करोड़ रुपए रह गई. 

    वर्ष 2019-20 में बट्टेखाते में डाली गई राशि 2,34,170 करोड़ रुपए थी जो वर्ष 2018-19 में 2,36,265 करोड़ रुपए के 5 साल के रिकॉर्ड स्तर से कम थी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान बैंकों ने बट्टे खाते में 1,61,328 करोड़ रुपए डाले थे. मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर पिछले 5 वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपए का बैंक ऋण बट्टे खाते में डाला गया है.

    विलफुल डिफाल्टर अधिक

    कराड ने कहा कि सभी भारतीय वित्तीय संस्थान रिजर्व बैंक को बड़े ऋण पर सूचना के केंद्रीय रिपोजिटरी के तहत 5 करोड़ रुपए और उससे अधिक के कुल ऋण लेने वाले सभी उधारकर्ताओं के बारे में जानकारी देते हैं. रिजर्व बैंक के अनुसार जानबूझकर ऋण चुकाने में चूक करने वालों के संबंध में सीआरआईएलसी आंकड़े वर्ष 2018-19 से रखे जा रहे हैं. 

    पिछले 4 साल में ऋण अदायगी मामलों में जानबूझकर चूक करने वालों की कुल संख्या 10,306 थी. जानबूझकर चूक करने वालों की सबसे अधिक संख्या वर्ष 2020-21 में थी. उस दौरान 2,840 ने ऋण लौटाने में चूक की थी. उसके अगले वर्ष यह संख्या 2,700 थी. नार्थ 2019 के अंत में ऐसे चूककर्ताओं की संख्या 2,207 थी जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 2,469 हो गई.

    कर्ज डुबोनेवालों का विवरण

    मार्च 2022 तक शीर्ष चूककर्ताओं या डिफाल्टर्स का विवरण देते हुए वित्त राज्यमंत्री कराड ने कहा कि गीतांजलि जेम्स लिमिटेड सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इम्फ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है. 

    फरार हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का 7,110 करोड़ रुपए बकाया है जबकि एरा इन्फ्रा इंजीनियरिंग पर 5,879 करोड़ रुपए और कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लि. पर 4,107 करोड़ रुपए बकाया है. इसके अलावा आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड ने बैंकों से क्रमश: 3,984 करोड़ रुपए और 3,708 करोड़ रुपए की धोखाधडी की है. इसके अलावा फ्रास्ट इंटरनेशनल लिमिटेड पर 3,108 करोड़ रुपए, विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी पर 2,671 करोड़ रुपए, रोटोमैक ग्लोबल प्रा. लि. पर 2,481 करोड़ रुपए, कोस्टला प्रोजेक्ट्स लि. पर 2,311 करोड़ रुपए और कुडोस केमी पर 2,082 करोड़ रुपए बकाया है.

    खराब कर्ज बैलेंस शीट से हटाया जाएगा

    बैंकिंग क्षेत्र में खराब कर्ज (बैड लोन) की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक संस्था बनाई है जो इन बैंकों के खराब कर्ज ले लेगी और उसका समाधान निकालेगी. इससे बैंक की बैलेंस शीट से वे कर्ज हट जाएंगे और बैंक को फिर से सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिल जाएगा.