Preparations to run on the path of development, agricultural cooperatives will be revived

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    केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने देश की लगभग 63 हजार क्रियाशील प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाओं को अंधेरे कुएं से बाहर निकालने की व्यवस्था कर दी है. विधिक प्रावधानों के चलते पेक्स अब विकास पथ पर दौड़ने की तैयारियाँ करेंगी.

    दशकों पुराने कानूनी प्रावधानों के जाले से बाहर निकल, 25 नए कारोबार क्षेत्रों में प्रवेश पर पेक्स का नया अवतार अब सामने होगा. वर्तमान में सीमित कारोबारी व्यवस्था में बंधी देश की प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाएँ अत्यल्प लार्भाजन मार्जिन के चलते भार संकट के दौर से गुजरती है. इनमें मध्यप्रदेश की चार हजार से अधिक पेक्स शामिल हैं. परंपरागत व्यवसाय मॉडल यानी किसानों को नकदी साख सीमा, अल्पावधि और मध्यमावधि कर्ज वितरण तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन के चलते ये न तो अपेक्षित लाभार्जन की स्थिति में हैं और न ही सदस्य-असदस्य किसानों की पर्याप्त सेवा करने योग्य. केंद्र द्वारा तैयार आदर्श उपनियमों को आत्मसात कर पेक्स कानूनी बाधाओं को दूर कर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में सहकारी योगदान सुनिश्चित करेंगी.

    पेक्स के लिए दशकों से समय-समय पर गठित अनेक समितियों ने इनके लिए मॉडल बिजनेस प्लॉन बनाए, किंतु ये जमीन पर नहीं उतरे. फलस्वरूप कृषि सहकारी साख आंदोलन की बुनियाद मजबू नहीं हो सकीं. इसका प्रभाव भी ग्रामीण विकास गतिविधियों और सहकारी आंदोलन के संबंधों की मजबूती पर देखने में आया.

    केंद्र में पृथक सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद मोदी सरकार के सहकारिता मंत्री अमित शाह (जो जिला सहकारी बैंक, अहमदाबाद के भूतपूर्व अध्यक्ष हैं) ने इस विसंगति की ओर ध्यान दिया. मंत्री ने राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी), राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राज्यों के राज्य सहकारी बैंकों (एपेक्स बैंक्स) तथा वैकुंठ भाई मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान (वेम्निकॉम) की संयुक्त समिति गठित कर प्रगतिशील आदर्श उपनियम बनाने के लिए सुझाव चाहे.

    समिति द्वारा तैयार इन प्रारूप आदर्श उपनियमों को सभी पेक्स और जुड़े घटकों को प्रेषित कर प्रतिसाद चाहा गया. इन सभी फीडबैक की अच्छाईयों को शामिल कर प्रारूप आदर्श उपनियम तैयार कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पेक्स में प्रभावशील करने हेतु भेज दिए गए हैं. ये सुझाव सांकेतिक और लचीले हैं. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन्हें अपनी सुविधा अनुसार लागू कर सकते हैं. केंद्र का यह कदम इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस के सातवें सिद्धांत समुदाय से सरोकार पर भी जोर देता है. इंडिया आईसीए का संस्थापक सदस्य भी है.

    पेक्स बहुउद्देश्यीय नए अवतार में आदर्श उपनियमों के जरिए पेक्स बहुउद्देशीय सेवा केंद्रों के जरिए उन 25 नए क्षेत्रों में प्रवेश करेंगी, जिनकी कभी कल्पना नहीं की थी. इनमें दीर्घावधि कर्ज वितरण, कॉमन सेर्विस सेंटर संचालन, फार्म मशीनरी, उपकरणों की बिक्री, गैस, डीजल, पेट्रोल पंप संचालन, स्वच्छता गतिविधियाँ संचालन, जिंस उपार्जन, संग्रहण, पैकेजिंग, ब्रॉण्डिंग तथा वितरण यानी मूल्यअर्हित (वेल्यू एडेड) उत्पादों की बिक्री, रेशम पालन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना सम्मिलित हैं. अभी तक पेक्स केवल अल्पावधि और मध्यमावधि कर्ज ही दे सकती थीं. दीर्घावधि कर्ज के लिए किसान अन्य एजेंसियों की ओर रूख करते थे, नतीजतन कानूनी बाधाओं के चलते बड़ा व्यवसाय पेक्स के हाथों से छूटता था और किसान भी परेशान होते थे. प्रस्तावित आदर्श उपविधियों में इन समस्याओं का समाधान किया गया है.

    सहकारी नटनी क्यों…?

    ग्रामीण क्षेत्रों में बाँस-बल्लियों के जरिए लोक कलाकार नटनियाँ करतब बताते देखी जाती हैं. ये पतली डोर पर चलती हैं और हानि होने की आशंका बनी रहती है. इसी प्रकार सहकारी नटनियाँ यानी पेक्स भी लाभार्जन की पतली डोर पर संचालित हो लाभार्जन के करतब दिखाया करती हैं. पेक्स की स्थितियों से परिचित अने ग्रामीणजन इन्हें सहकारी नटनियाँ कहते हैं.

    -नीलमेघ चतुर्वेदी