महिला वोट जुटाने में लगीं प्रियंका

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    कांग्रेस पार्टी ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है और वह सभी 403 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. प्रियंका गांधी ने लखनऊ में कहा कि कांग्रेस 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी. पर महिला वोट बैंक बनाने की ये रणनीति कितनी सफल हो पाएगी? कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण अभियान बहुत धूमधाम से शुरू किया है. 

    कांग्रेस नेता शमीना शफीक विधानसभा चुनावों में गांवों में जाकर पार्टी के महिला सशक्तिकरण अभियान को आगे बढ़ा रही हैं. उन्होंने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिला सशक्तीकरण के लिए जो वादे किये वो 15 पन्नों पर थे.  प्रियंका गांधी ने बुधवार को घोषणा की कि यूपी के लिए पार्टी के पहले 100 उम्मीदवारों में से 60 महिला हैं. शमीना शफीक उन सैकड़ों महिलाओं में हैं जो पार्टी की उम्मीदवार बनना चाहती हैं. वो कहती हैं इस फैसले से पार्टी के अंदर और बाहर मर्दों में खलबली मची है.

    बीजेपी और सपा में सीधा मुकाबला

    कांग्रेस के लिए चिंता की बात ये है कि कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे चुनाव से पहले ही खारिज कर दिया है और उनका कहना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी से होगा. उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 32 सालों से सत्ता से बाहर है और राज्य में अपना जनाधार खो चुकी है. 

    मुसलमान और यादव समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माना जाता है जबकि बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक दलित माने जाते हैं. लेकिन कांग्रेस का अपना वोट बैंक नहीं रहा. तो क्या पार्टी महिलाओं के बीच अपना जनाधार बनाना चाहती है? राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं इन कोशिशों के बावजूद पार्टी चुनाव में पिछली बार से बेहतर नहीं करेगी. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल सात सीटें हासिल हुई थीं. तो क्या पार्टी का ये कदम सही है?

    आगे की सोच रही है कांग्रेस

    कांग्रेस के लोग इसे एक ऐतिहासिक कदम जरूर मान रहे हैं लेकिन सियासी विश्लेषक इसे बहुत क्रांतिकारी कदम नहीं मानते. कांग्रेस में महिलाओं के हौसले बुलंद हैं लेकिन शायद पार्टी में बहुत सीटें जीतने की उम्मीद नहीं नजर आती. पार्टी के अंदर एक सोच ये भी है कि विधानसभा चुनाव में अगर इसका खास फायदा ना हुआ तो साल 2024 के आम चुनाव में फायदा जरूर होगा.

    पार्टी के पास कोई चेहरा नहीं

    राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार गांधी परिवार के अलावा पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो पार्टी के पैगाम को आम लोगों तक पहुंचा सके. वो कहते हैं, अफसोस की बात ये है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के अतिरिक्त कोई ऐसा चेहरा नहीं लगता जो पूरे प्रदेश भर में चुनाव प्रचार करके लोगों की भीड़ जुटा पाए और उनसे एक मजबूती से अपनी बात कह सके.

    महिलाओं ने पार्टी छोड़ी

    एक तरफ कांग्रेस महिला सशक्तीकरण का नारा लगा रही है, महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ कुछ महिला नेता पार्टी छोड़ कर जा रही हैं. अगस्त में महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव पार्टी छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं और रायबरेली सदर चुनावी क्षेत्र की विधायक अदिति सिंह पिछले महीने बीजेपी में शामिल हो गईं. वो एक ऐसे क्षेत्र से विधायक हैं जहां की सांसद सोनिया गांधी हैं. अदिति सिंह उन सात कांग्रेस विधायकों में से हैं जिन्होंने 2017 विधानसभा चुनावों में मोदी लहर का मुकाबपला कर मैदान जीता था.