कुछ प्रदर्शनकारी राष्ट्र सम्मान को ताक पर रखकर नेशनल वॉर मेमोरियल पर चढ़कर नाचते देखे गए
अज्ञानी, नासमझ, हठी किस्म के लोग सारी दुनिया में पाए जाते हैं जो किसी तर्कसंगत बात को सुनना ही नहीं चाहते और मेरी मुर्गी की डेढ़ टांग पर अड़े रहते हैं. यह सामान्य धारणा है कि पश्चिमी देशों के लोग पढ़े-लिखे और समझदार होते हैं लेकिन यह बात हर किसी के लिए लागू नहीं होती. बेवकूफों की कोई कमी नहीं है, एक ढूंढो, हजार मिलते हैं. कनाडा में यही हुआ. वहां कोरोना वैक्सीन तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी प्रतिबंधों का विरोध करने वाले 50,000 ट्रक ड्राइवरों ने 20,000 ट्रकों के साथ प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का पीएम आवास घेर लिया.
यह तो अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री पहले ही अपने परिवार सहित किसी अज्ञात स्थान चले गए अन्यथा उन्मादी प्रदर्शनकारियों की भीड़ कुछ भी कर सकती थी. जब इतनी बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी संसदीय क्षेत्र में घुस आएं तो पुलिस भी क्या कर सकती है? ये आंदोलनकारी अपने साथ बच्चों, बुजुर्गों और विकलांग लोगों को लेकर आए और उन्होंने प्रधानमंत्री जस्टिन के खिलाफ अश्लीलता से भरी नारेबाजी भी की. यह भीड़तंत्र का शर्मनाक नजारा था. कुछ प्रदर्शनकारी राष्ट्र सम्मान को ताक पर रखकर नेशनल वॉर मेमोरियल पर चढ़कर नाचते देखे गए. कनाडा के वरिष्ठ सोल्जर जनरल वेन आइरे और वहां की रक्षा मंत्री अनिता आनंद ने प्रदर्शनकारियों की इस करतूत की निंदा की.
व्यक्तिगत आजादी के नाम पर वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते
वैक्सीनेशन को अनिवार्य करने से पहले प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा था कि ट्रक वाले न केवल अपने लिए, बल्कि देश के बाकी लोगों के लिए खतरा बन गए हैं. यह कहना जायज था क्योंकि मुल्क में सब तरफ सैकड़ों मील जाने वाले ट्रक चालक कितने ही लोगों के संपर्क में आकर कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं. इस सही परामर्श के बावजूद ट्रक ड्राइवरों ने 70 किलोमीटर लंबा काफिला निकाला और सरकार पर जबरदस्त दबाव डालने की कोशिश की. वे चाहते हैं कि वैक्सीन अनिवार्य न की जाए. लॉकडाउन न लगाने तथा मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे अन्य प्रतिबंधों का भी ट्रक ड्राइवरों ने विरोध किया.
इसी तरह की भावना अमेरिका में भी कितने ही लोगों में है. वे कहते हैं- ‘माय बॉडी, माय च्वाइस!’ हम वैक्सीन लेना नहीं चाहते, यह हमारी व्यक्तिगत आजादी का सवाल है. इस पर कोई बंदिश नहीं लगाई जा सकती. ऐसा कहकर वैक्सीन नहीं लेने वालों में से कितने ही लोगों की संक्रमण से मौत हो गई. जन स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार को सख्ती करनी ही चाहिए. जो व्यक्ति अपनी आजादी की दुहाई देते हुए वैक्सीन नहीं लगवाता, वह कोरोना पीड़ित होने पर संपर्क में आने वाले कितने ही लोगों को संक्रमित कर सकता है. अमेरिका में वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. वहां 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को भी वैक्सीन दिए जा रहे हैं. लोग बूस्टर शॉट भी लगवा रहे हैं लेकिन ऐसे भी हजारों अमेरिकी हैं जो वैक्सीन लगवाने के खिलाफ हैं.
ऐसे लोग भारत में भी हैं
टीवी चैनल में दिखाया गया कि यूपी के ग्रामीण क्षेत्र में लोग अंधविश्वास के चलते वैक्सीन नहीं लगवा रहे. अल्पसंख्यकों में भ्रम फैलाया जा रहा है कि वैक्सीन लगाने से मर्दानगी खत्म होती है तथा इसके जरिए आबादी का नियंत्रण किया जा रहा है. ऐसे शरारतपूर्ण प्रचार की वजह से वैक्सीन लेने से इनकार करने वाले अन्य लोगों के बीच कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं.