Record compilation of GST, now focus should be on development

लगातार 10 महीनों में जीएसटी का रिकार्ड संकलन हुआ है.

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    पहली बार जीएसटी संकलन ने डेढ़ लाख करोड़ के आंकड़े को पार किया है. अप्रैल में 1,67,540 लाख करोड़ रुपए जीएसटी जमा हुआ. 20 अप्रैल को एक ही दिन में 57,847 करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में सरकार को हासिल हुए. लगातार 10 महीनों में जीएसटी का रिकार्ड संकलन हुआ है. इससे कहा जा सकता है कि कोरोना संकट दूर होने के बाद से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और बाजार की हालत बेहतर हुई है.

    इस आशाजनक पहलू के साथ एक हताशाजनक तथ्य यह भी है कि देश में बेरोजगारी की दर बढ़ रही है. जिस अप्रैल माह में रिकार्ड जीएसटी संकलन हुआ, उसी माह बेरोजगारी की दर 7.83 प्रतिशत पर जा पहुंची. सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने यह आंकड़ा देते हुए कहा कि देश में मांग में आई कमी तथा अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में हो रहे विलंब की वजह से बेरोजगारी में वृद्धि हुई है. यह सचमुच चिंता की बात है कि विगत 5 वर्षों में 2 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं. इस तरह यदि एक ओर जीएसटी संकलन से सरकार की कमाई बढ़ रही है तो दूसरी ओर बेरोजगारी बढ़ने से जनअसंतोष भी देखा जा रहा है.

    सरकार व प्रशासन पूरी तरह ध्यान दे रहे हैं कि जीएसटी की पूरी वसूली हो. कर चोरी करनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तथा कर जमा करने की प्रक्रिया सुलभ बनाने से जीएसटी संकलन बढ़ा है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के पर्याप्त संकलन से केंद्र व राज्यों को विकास कार्य में मदद मिलेगी. अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ ही उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार होगा लेकिन इसके साथ ही यदि लोगों को रोजगार मिलने लगे तो सही अर्थों में विकास हो सकेगा. जनता महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है. यदि जीएसटी संकलन में वृद्धि के साथ ही नौकरी व रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं तो लोगों को काफी राहत मिलेगी.

    20 बड़ी कंपनियों का 70 प्रतिशत मुनाफा

    महंगाई बढ़ने की एक वजह यह भी है कि एक ओर पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों का बाकी वस्तुओं के मूल्य पर असर हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कारपोरेट क्षेत्र अंधाधुंध मुनाफा कमा रहा है. देश की 20 बड़ी कंपनियां 70 फीसदी मुनाफा कमा रही हैं. यूनिलिवर, सुजुकी मोटर्स, जेएसडब्ल्यू स्टील सभी ने कीमतें बढ़ा दी हैं. सीमेंट भी काफी महंगा हो गया है. पहले रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने कहा था कि विकास की तुलना में महंगाई ज्यादा बढ़ गई है. खुदरा की बजाय थोक कीमतों में ज्यादा वृद्धि हो रही है. यदि महंगाई को देखते हुए रिजर्व बैंक अपना डिपॉजिट रेट बढ़ा देता है तो कर्ज की दर भी ऊंची हो जाएगी. कारपोरेट ने अपनी अतिरिक्त लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से विश्वव्यापी आपूर्ति में गिरावट आने के नाम पर अधिकांश कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाई हैं.

    पेट्रोल-डीजल में राहत नहीं

    ब्रेंट क्रूड ऑइल 104 डॉलर प्रति बैरल के निचले दाम पर आ जाने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की दरें कम नहीं की जा रही हैं. केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32.90 रु. एक्साइज ड्यूटी व उपकर वसूली करती है. इसमें 1.40 रु. बेसिक एक्साइज ड्यूटी, 18 रुपए सड़क व बुनियादी ढांचा विकास कर, 2.50 रुपए कृषि व इन्फ्रास्ट्रक्चर टैक्स तथा 11 रुपए स्पेशल अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी शामिल है. राज्यों का शुल्क अलग से जुड़ता है. प्रधानमंत्री ने राज्यों से टैक्स कम कर पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने को कहा है.