Central Vista

स्वयं सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका की सुनवाई कर रहा है, वह इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि का उपयोग बदलने से जुड़ी है.

Loading

नए संसद भवन का निर्माण करने वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ 1200 से अधिक आपत्तियां उठाई जा चुकी हैं जिनमें से अनेक आपत्तियां याचिका के रूप में दिल्ली की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं. स्वयं सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका की सुनवाई कर रहा है, वह इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि का उपयोग बदलने से जुड़ी है. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन के निर्माण के बारे में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि जब तक वह अपना फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी व न्या. संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि सिर्फ भूमि पूजन किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से केंद्र सरकार झुक गई और उसकी ओर से कहा गया कि सिर्फ शिलान्यास किया जाएगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई निर्माण या तोड़फोड़ नहीं करेंगे और वृक्षों की कटाई भी नहीं की जाएगी.

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

दिल्ली में राजपथ के दोनों ओर के क्षेत्र को सेंट्रल विस्टा कहा जाता है. इसके अंतर्गत राष्ट्रपति भवन, संसद, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति भवन, आता है. इसके अलावा नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उद्योग भवन, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन, जवाहर भवन, बीकानेर हाउस भी आते हैं. सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट इस समूचे इलाके के नवीनीकरण (रिनोवेट करने) की योजना है. इस पर 20,000 करोड़ रुपए के आसपास लागत आएगी.

नया पार्लियामेंट हाउस 2022 तक बनाने की योजना

सेंट्रल विस्टा पर नया संसद भवन बनाना इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि वर्तमान भवन काफी पुराना हो गया है, जिसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुआ था. इसके अलावा परिसीमन के बाद संसद सदस्यों की संख्या भी बढ़ने वाली है. भविष्य की जरूरतों के लिए वर्तमान संसद भवन पर्याप्त नहीं है. अभी लोकसभा में 543 सदस्य तथा राज्यसभा के 250 सदस्य हैं. जो नया संसद भवन बनेगा उसमें 888 लोकसभा सदस्य और 384 राज्यसभा सदस्य बैठ सकेंगे. नए भवन का निर्माण 65,000 वर्गमीटर क्षेत्र में होगा. इसके लिए भूकंपरोधी त्रिकोणीय इमारत बनाई जाएगी. इसका निर्माण टाटा ग्रुप करने वाला है. नए संसद भवन के निर्माण की लागत लगभग 971 करोड़ रुपए आएगी.

महत्वाकांक्षी निर्माण योजना पर अदालती पेंच

सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा है वह प्रोजेक्ट के लिए 86 एकड़ जमीन का लैंड यूज बदलने को लेकर है. जमीन का उपयोग बदलने का आदेश गत 20 मार्च 2020 को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे चुनौती देने वाली याचिका पर 5 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. फैसला सुनाए जाने में अभी समय है. प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रमुख आपत्तियां इस प्रकार हैं- (1) प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई. (2) जमीन के इस्तेमाल में बदलाव (लैंड यूज) की मंजूरी भी अनुचित तरीके से दी गई. (3) विभिन्न मंजूरियां देने में स्वयं सरकार ने ही निर्धारित मानदंडों को दरकिनार किया. (4) कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया.

भूमिपूजन 10 दिसंबर को

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को संसद भवन की नई इमारत का भूमिपूजन करेंगे लेकिन विपक्षी दल इसे भी राजनीति का मुद्दा बना रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि शिलान्यास से पहले वहां सर्वधर्म प्रार्थना होनी चाहिए. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री भूमिपूजन कर रहे हैं तो हम उनसे दूसरे धर्मों के नेताओं को भी आमंत्रित करने का आग्रह करेंगे ताकि हर व्यक्ति को नए संसद भवन से लगाव महसूस हो.