बांग्लादेश का निर्माण, राजनाथ ने माना इंदिरा का लोहा

    Loading

    इसमें कोई शक नहीं कि नेहरू गांधी परिवार के प्रति बीजेपी नेताओं के मन में जबरदस्त पूर्वाग्रह है. इसकी वजह यह है कि इस परिवार की अपार लोकप्रियता की वजह से पहले जनसंघ और फिर बीजेपी को कई दशकों तक सत्ता में आने का मौका नहीं मिल पाया. वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार 1998 में केंद्र की सत्ता में आई लेकिन फिर 2004 से 2014 तक  कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार कायम रही. 

    बीजेपी के नेता वंशवाद के नाम पर नेहरू-गांधी परिवार को कोसते रहते हैं. नेहरू को आधुनिक भारत के निर्माता या संसदीय लोकतंत्र के शिल्पकार के रूप में स्वीकार करना इन्हें मंजूर नहीं है. बीजेपी नेता यह नहीं सोचते कि देश में औद्योगिकरण किसने किया, बैंकों का राष्ट्रीयकरण किसकी देन है, राजाओं का प्रिवीयर्स किसने बंद किया. 

    देश में मी-डाट  तकनीक किसके समय आई इसके अलावा अर्थ व्यवस्था का उदारीकरण भी तो कांग्रेस शासन में ही हुआ. बीजेपी नेता आरोप लगाते थे कि कांग्रेस देश को बेच दिया और अब वे खुद सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की बिक्री करने का इरादा रखते हैं. इसकी शुरुआत एयर इंडिया की बिक्री से हो चुकी है.

    सच स्वीकार करना ही पड़ता है

    सच कभी न कभी स्वीकार करना ही पड़ता है. रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने स्वर्णिम विजय पर्व कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र भारत की देन है. यह कार्यक्रम उस शानदार जीत के उपलक्ष्य में है जो भारत ने पाकिस्तान पर हासिल की थी. इस तरह 1971 के बांग्लादेश युद्ध को याद करते हुए राजनाथ सिंह ने इंदिरा गांधी का लोहा माना. 

    उस समय समूचे विश्व ने इंदिरा की दृढ़ता को देखा था जो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की धमकी के बावजूद नहीं झुकी थीं. जब बांग्लादेश युद्ध के समय पाकिस्तान समर्थक निक्सन ने बंगाल की खाड़ी में 7 वां बेड़ा भेजने की धमकी दी थी तो इंदिरा गांधी का जवाब था कि उसे आने दो, हमारा विक्रांत उससे निपट लेगा. 

    जब तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान में जनरल टिक्का खान ने फौज में भीषण अत्याचार करवाए और लाखों शरणार्थियों की भीड़ भारत आने लगी तो इंदिरा गांधी ने विदेश दौरा कर वहां के शासनाध्यक्षों से कहा कि वे पाकिस्तान पर अंकुश लगाएं क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था इतने शरणार्थियों की भीड़ बर्दाश्त नहीं कर सकती. किसी ने इंदिरा की नहीं सुनी तो उन्होंने स्वयं पहल की. बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी को मदद दी गई.

    भारत ने इतिहास रचा था

    जनरल मानेकशा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पश्चिम और पूर्व 2 मोर्चों पर लड़ाई लड़ी और बांग्लादेश को पाकिस्तानी कब्जे से आजादी दिलाकर स्वतंत्र राष्ट्र बनवाया. यह हमारी सेना का श्रेष्ठ पराक्रम था. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ले. जनरल एएके नियाजी को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया और पाकिस्तान के 93,000 फौजियों को युद्ध वेदी बनाया था. इंदिरा को नेतृत्व में एक इतिहास रचा गया. 

    तब संसद में अटलबिहारी वाजपेयी ने भी इंदिरा के नेतृत्व की दिल खोलकर प्रशंसा की थी. अब राजनाथ सिंह भी इंदिरा का लोहा मान रहे हैं. अंग्रेजों ने भारत को आजादी देते समय पश्चिम और पूर्व में पाकिस्तान बना दिए थे ताकि भारत चैन से न रहने पाए लेकिन विश्व इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि जीते हुए भूभाग पर कब्जा न करते हुए उसे स्वतंत्र राष्ट्र बनाया गया. 

    यह बहुत बड़ी उदारता थी. पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जनरल याहया खान बंगबंधु मुजीबुर्रहमान को फांसी पर लटकाना चाहते थे लेकिन भारत ने मुजीब को बांग्लादेश का पहला राष्ट्रपति बनवाया.