जांच एजेंसियों का इस्तेमाल, छगन बरी, राणे फंसे, चल रहा खेला

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    महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच घात-प्रतिघात की राजनीति चल रही है. दोनों ओर से अपनी-अपनी जांच एजेंसियों के जरिए खेला चल रहा है. तू डाल-डाल, मैं पात-पात जैसी स्थिति है. केंद्र के पास पीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के हथियार हैं तो राज्य के पास भी उसकी पुलिस और क्राइम ब्रांच है. 

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यदि अपनी ताकत दिखा रहे हैं तो महाराष्ट्र में भी अनुभवी नेता व एनसीपी प्रमुख शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मजबूती और कुशलता से अपनी रणनीति को अंजाम देने में लगे हैं. पुरानी कहावत है कि घर-घर में मिट्टी के चूल्हे होते हैं. दूसरी तरह भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेता भी प्राय: हर पार्टी में होते हैं. 

    इसी के आधार पर एक पार्टी दूसरी पार्टी के नेता का भंडाफोड़ करने और गिरफ्त में लेने की कोशिश करती है. जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सत्ता हो तो यह टकराव और भी जबरदस्त हो जाता है.

    भुजबल का संकट टला

    महाविकस आघाड़ी सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल, उनके बेटों पंकज व समीर भुजबल तथा अन्य 5 लोगों को महाराष्ट्र सदन घोटाले के मामले में मुंबई के सत्र न्यायालय ने सभी आरोपों से बरी कर दिया. इस  अनुकूल निर्णय से भुजबल उत्साहित हैं और एनसीपी में भी खुशी देखी जा रही है. भुजबल पर यह मामला 3005-06 में हुए एक डी से जुड़ा था. उस समय से लोक निर्मण मंत्री थे. 

    एसीबी के मुताबिक महाराष्ट्र सदन निर्माण की मूल लागत 13.5 करोड़ रुपए थी जिसे 50 करोड़ रुपए कर दिया गया था. भुजबल परिवार को रिश्वत मिलने का आरोप था. छगन भुजबल ने आरोप लगाया कि देश भर में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. शायद मैं पहला व्यक्ति था जिसके खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया. दूसरी ओर महाराष्ट्र सदन घोटाले का पर्दाफाश करनेवाली सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दयानिया ने कहा कि वो इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगी.

    डीएचएफएल मामले से मुसीबत में राणे

    पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की पत्नी नीलम राणे और पुत्र विधायक नितेश राणे के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. दीवान हाउसिंग फाइनांस लि. (डीएचएफएल) ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आर्टलाइन प्रापर्टीज प्रा. लि. ने 25 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. नीलम राणे इसमें सह आवेदक थीं. इसके अलावा नीलम होटल्स प्रा. लि. ने भी डीएचएफएल से 40 करोड़ रुपए कर्ज लिया था. 65 करोड़ रुपए का यह कर्ज राणे के लिए गल की फांस बन गया है.

    BJP नेताओं के घोटाले खोलने की रणनीति

    एनसीपी शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की बैठक में आघाड़ी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के शिकंजे का मुकाबला करने के लिए बीजेपी राज के घोटालों को खोलने की रणनीति पर चर्चा की गई. शरद पवार की सबसे बड़ी चिंता महाराष्ट्र का सहकरित क्षेत्र है. को आपरेटिव सोसाइटी बैंक और चीनी मिलों पर नेताओं का वर्चस्व है. 

    यदि इस क्षेत्र पर केंद्र की मोदी सरकार ने हमला बोला तो पवार समेत राज्य के कई बड़े नेता मुसीबत में घिर सकते हैं. बीजेपी हाईकमांड ने अपने पूर्व सांसद किरीट सोमैया को ठाकरे सरकार के मंत्रियों को घरने की खुली छूट दे रखी है. पूर्व गृहमंत्री व एनसीपी नेता अनिल देशमुख के 100 करोड़ रुपए वसूली के मामले में फंसने के बाद से ठाकरे सरकार बैकफुट पर है. परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी किरीट सोमैया वार किए जा रहे हैं. प्रताप सरनाई के पर भी मनीला ड्रिंग का केस चल रहा है.

    पवार भी निशाने पर

    किरीट सोमैया ने जरंडेश्वर शुगर फैक्टरी को लेकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को निशाने पर लिया और कहा कि इस शक्कर कारखाने की 55 करोड़ रुपए में नीलामी की गई लेकिन अजीत पवार ने इसे 65 करोड़ रुपए में खरीदा. इस पूरे मामले में 700 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया लेकिन 700 करोड़ का कर्ज लेने के लिए 1,000 करोड़ रुपए की संत्ति के मूल्यांकन की आवश्यकता हाती है.

    बीजेपी नेताओं पर नजर

    आघाड़ी सरकार की बीजेपी नेताओं के कथित घोटालों पर नजर है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जलशिवार योजना में घोटाले का आरोप है. पूर्व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की 83 करोड़ वृक्ष लगाने की योजना की जांच के आदेश दिए गए हैं. पूर्व महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे पर भी चिक्की घोटाले के आरोप का मामला तूल पकड़ सकता है.