जी-20 की अध्यक्षता मिलना, भारत के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण

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    जब भी विश्व कठिनाइयों, संकटों और उलझनों से घिरा, भारत ने ही अंधेरे में दुनिया को रोशनी दिखाई. स्वामी विवेकानंद से वैश्विक भ्रातृभाव का संदेश दिया था तो महात्मा गांधी की अहिंसा व सत्याग्रह की सीख का इतना असर पड़ा कि दक्षिण अफ्रीका से वर्णभेद के उच्चाटन में नेल्सन मंडेला ने कामयाबी हासिल की तथा मार्टिन लूथर किंग ने अमेरिका में अश्वेतों को सिविल राइट्स दिलवाए. समय-समय पर भारत विश्वगुरू की भूमिका में रहा है. 

    आज के अत्यंत, अशांत और विध्वंसक परिप्रेक्ष्य में दुनिया को शांति व सहयोग के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर होने के लिए भारत ही प्रेरित कर सकता है. भारत को जी-20 संगठन का अध्यक्ष पद हासिल हुआ है. वह बाकायदा 20 देशों के इस ग्रुप की अध्यक्षता 1 दिसंबर से संभालेगा. यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और सारी दुनिया भारत की और उम्मीद भरी नजरों से देख रही है. दिल्ली में आगामी वर्ष 9 व 10 सितंबर 2023 को होनेवाले जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत करेगा. 

    इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर आलोफ शोल्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तथा अन्य नेता भाग लेंगे. जी-20 देशों के हजारों प्रतिनिधियों की भारत के विभिन्न शहरों में बैठकें अगले माह से शुरू हो जाएंगी. भारत को ऐसे बड़े आयोजन का अनुभव है. 1983 में दिल्ली में निर्गुट देशों का शिखर सम्मेलन हुआ था जिसमें विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष आए थे. जी-20 उससे भी काफी बड़ा समूह है.

    विकट चुनौतियों से जूझता विश्व

    इस समय विश्व अत्यंत विकट चुनौतियों से जूझ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध से भारी तबाही होने के साथ ही विश्व का आर्थिक ढांचा भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यूरोप में सर्दियों में भारी ऊर्जा संकट देखा जा रहा है. रूस का बहिष्कार किए जाने से पश्चिमी देशों को प्राकृतिक तेल, गैस की सप्लाई रुकी है. रूस और यूक्रेन की गेहूं पैदावार और निर्यात पर भी अत्यंत विपरीत असर पड़ा है. जर्मनी को अपने बंद किए जा चुके कोयला आधारित पावर प्लांट फिर शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

    1930 और 2008 के समान फिर से एक बार भारी मंदी आने के आसार बनते जा रहे हैं. इससे सिर्फ बड़े समृद्ध देश ही नहीं, गरीब और विकासशील देश भी प्रभावित होंगे. नामी संस्थानों में कर्मचारियों की छंटनी का दौर शुरू हो गया है. जी-20 देशों का इसलिए भी महत्व है कि यह दुनिया के 75 प्रतिशत व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है. यदि विश्व में युद्ध के बादलों के साथ अशांति, अव्यवस्था और मंदी आई तो सारी प्रगति पर पानी फिर जाएगा. 

    खतरा सभी ओर है. ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में टकराव है तो सीमा विवाद व फौजी जमाव को लेकर चीन और भारत के बीच तनाव बना हुआ है. परिस्थितियां जटिल होती जा रही हैं. ऐसे में जी-20 की अध्यक्षता के साथ विश्व का नेतृत्व भारत के हाथों में होगा जिसमें मनोबल के साथ ही मार्गदर्शन की क्षमता भी है.

    वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश

    प्रधानमंत्री मोदी पहले ही पुतिन को समझा चुके हैं कि आज का समय युद्ध का नहीं है. युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटना जरूरी है. उन्होंने ऊर्जा सप्लाई में प्रतिबंधों का विरोध किया. प्रधानमंत्री ने जी-20 की अध्यक्षता को लेकर कहा कि उन्हें विश्वास है कि जब गौतम और गांधी की धरती पर जी-20 की बैठक होगी तो हम सभी इसके माध्यम से विश्व को शांति का ठोस संदेश देंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 का प्रतीक चिन्ह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जारी करते हुए कहा कि यह ऐसी भावना है जो हमारी रगों में बसती है. इसके माध्यम से भारत ने विश्व को फिर एक रचनात्मक सहयोग का संदेश दिया है.