बजट अधिवेशन मुंबई में विदर्भ कर करार पर वादाखिलाफी

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    उपराजधानी नागपुर और विदर्भ के जख्मों पर नमक छिड़कते हुए विधान मंडल का अधिवेशन फिर मुंबई में लिया जाएगा. शीत सत्र तो नागपुर में हुआ ही नहीं अब बजट सत्र भी 28 फरवरी को मुंबई में आयोजित किया जाएगा. यह कैसी चालबाजी है कि पहले विधानमंडल के नागपुर अधिवेशन की तारीख घोषित की जाती है और फिर ऐन समय पर उसे मुंबई में रखा जाता है. 2 वर्षों से महाविकास आघाड़ी सरकार विदर्भ की जनभावनाओं के साथ ऐसा खिलवाड़ कर रही है. इससे नागपुर और विदर्भ के प्रति सरकार का नकारात्मक और उपेक्षापूर्ण रवैया साफ नजर आता है.

    जब विदर्भ को महाराष्ट्र में शामिल किया गया था तब नागपुर करार में विदर्भ को विकास में झुकता माप देने और विधान मंडल का एक अधिवेशन उपराजधानी नागपुर में लेने का प्रावधान किया गया था. इसके बाद अनुभव यह रहा कि नागपुर सत्र की अवधि संक्षिप्त रखी जाती थी और यहां विदर्भ के ज्वलंत प्रश्नों को न सुलझाते हुए पश्चिम महाराष्ट्र के मुद्दों पर चर्चा की जाती थी. नागपुर के शीत सत्र को पिकनिक का रूप दे दिया जाता था.

    फाइलें मुंबई से जैसी बंधी हुई आती थीं, वैसी ही वापस भेज दी जाती थीं. मंत्री और विधायक भी शुक्रवार की शाम से मुंबई के लिए निकल जाते थे और शनिवार-रविवार को कोई उपलब्ध नहीं रहता था. नागपुर में विभिन्न संगठनों व आंदोलनकारियों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन विचार करने की बजाय कचरे की टोकरी में डाल दिए जाते थे.

    तारीख घोषित कर बाद में पलटी मार जाते हैं

    यदि सरकार को मुंबई में ही अधिवेशन कराना है तो नागपुर में सत्र की तारीख क्यों घोषित की जाती है और फिर तारीख निकट आते ही कोई न कोई कारण बताकर उसे रद्द कर दिया जाता है.

    2 वर्षों से कोरोना के नाम पर यही हो रहा है. 2021 में नागपुर का शीतकालीन सत्र रद्द किया गया. तब घोषणा की गई थी कि 28 फरवरी 2022 से होनेवाला विधानमंडल का बजट अधिवेशन नागपुर में कराया जाएगा. इसके लिए विधानमंडल सचिवालय 16 फरवरी से नागपुर में शुरु होने वाला था अब यह कहा जा रहा है कि नागपुर के विधान भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए जगह नहीं होने से अधिवेशन मुंबई में लिया जाएगा. जानकारों की राय है कि यदि नागपुर विधानभवन में विविध गैलरी की आसन व्यवस्था को ध्यान में रखा जाए तो इस मुद्दे का हल निकल सकता है.

    अब तक 6 बार नागपुर में अधिवेशन नहीं हुआ

    अब तक 6 बार नागपुर विधान मंडल अधिवेशन से वंचित रहा इनमें 1962, 1963, 1979, 1985, 2020, 2021 का समावेश है और अभी 2022 का बजट अधिवेशन भी नागपुर में लेना टाल दिया गया. विदर्भ की जनता को कोई पहल नहीं दिया जा रहा. मुंबई में बैठे नेताओं को विदर्भ का गडचिरोली दिखाई ही नहीं देता.

    मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री विदर्भ आते ही नहीं. यह कैसी मानसिकता है क्या सरकार विदर्भ को महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं मानती? 2 वर्षों से तो उसका यही रवैया नजर आ रहा है. 500 वर्ग फुट के घरों को संपत्ति कर से छूट केवल मुंबई में दी गई है, अन्य स्थानों में नहीं. पिछले 2 वर्षों से निधि आवंटन सहित सभी क्षेत्रों में विदर्भ की जानबूझकर उपेक्षा की जा रही है.