Vigilant will have to be taken again, the rising cases of Corona are worrisome

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देश में एक बार फिर से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि होने लगी है. 134 दिन बाद देश में कोरोना के मामले 10,000 से ऊपर जा पहुंचे हैं. पुणे में 25 दिनों में कोविड केस 10 गुना हो गए. साथ ही इन्फ्लूएंजा का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. किसी भी महामारी से न केवल स्वास्थ्य विभाग पर बोझ बढ़ जाता है, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति भी पटरी से उतरने लगती है, जैसा कि कोरोना वायरस की पहली व दूसरी लहरों में हम देख चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोविड-19 व इन्फ्लूएंजा की स्थिति का मूल्यांकन करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अधिक से अधिक कोविड पॉजिटिव सैंपलों का पूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग करें ताकि नये वैरिएंट्स, अगर कोई है, तो समय रहते ट्रैक किया जा सके और उन्हें नियंत्रित करने के लिए उचित बंदोबस्त करना संभव हो सके.

भारत में कोविड संक्रमण का पहला केस केरल में जनवरी 2020 में प्रकाश में आया था. इस घटना को अब 3 वर्ष से भी अधिक हो गए हैं. इस दौरान वैक्सीन व अन्य प्रयासों से कोरोना वायरस को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन पूर्ण सफलता अभी तक हाथ नहीं लग सकी है क्योंकि कोरोना वायरस नित नये रूप बदलता रहता है, यानी उसके नये-नये वैरिएंट सामने आते रहते हैं. इस स्थिति में ‘इलाज से बेहतर रोकथाम’ ही सही विकल्प है. प्रधानमंत्री ने कोविड उचित व्यवहार के पालन पर बल देते हुए कहा कि अस्पतालों में रोगी और हेल्थ प्रोफेशनल्स व हेल्थ वर्कर्स मास्क लगाकर रखें तथा वरिष्ठ नागरिक और जिन व्यक्तियों को अन्य बीमारियां हैं, वे मास्क लगाकर ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाएं. 

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा से मालूम होता है कि कोविड संक्रमण के 1,890 नये मामले प्रकाश में आए. वर्तमान में एक्टिव केस 9,433 हैं. छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र व केरल में 1-1 कोविड से मौत हुई. नये कोविड मामले किसी विशेष क्षेत्र में नहीं, बल्कि पूरे देश में ही बढ़ रहे हैं. एक अच्छी खबर यह है कि संक्रमितों के ठीक होने की दर 98.79 प्रतिशत है. इस बीच देश में दैनिक पॉजिटिविटी दर 1.09 प्रतिशत है और साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर 0.98 प्रतिशत है. अब तक 92.05 करोड़ से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं.

कोविड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केरल में राज्य सरकार ने अपने सभी जिलों में अलर्ट जारी किया है. सभी जिलों को सर्विलांस बढ़ाने का आदेश दिया गया है और लोगों से मास्क लगाने, दूरी बनाए रखने और नियमित हाथ धोने के लिए कहा गया है.

कोविड ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की कमर तोड़कर रख दी है. कोविड के कारण लगे लॉकडाउन में लाखों परिवार आर्थिक रूप से टूट गए. देश में केंद्र व राज्यों की विभिन्न स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत लगभग 148 मिलियन परिवारों को कवर किया जा चुका है. इन योजनाओं के बावजूद आज भी भारतीयों को हेल्थकेयर पर अपनी जेब से बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है. भारत में हेल्थकेयर पर आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च ग्लोबल औसत (18 प्रतिशत) की तुलना में बहुत अधिक (लगभग 55 प्रतिशत) है. 

– नरेंद्र शर्मा