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राज्यपाल और सीएम का इस तरह का टकराव लोकतंत्र और राज्य की प्रगति के लिए बाधक है.

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    बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद अब चरम पर जा पहुचा है. एक ओर ममता को अपने जनाधार और प्रभावी नेतृत्व का गुमान है तो दूसरी ओर राज्यपाल धनखड़ को केंद्र का बल और प्रोत्साहन हासिल है. माना जाता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल के अधिकार सीमित होते हैं जबकि सरकार के मुखिया के रूप में मुख्यमंत्री के पास वास्तविक शक्तियां होती हैं. इतने पर भी धनखड़ का रवैया देश के अन्य राज्यों के गवर्नर से काफी भिन्न है. वे सक्रियता से अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कदम-कदम पर ममता बनर्जी से लोहा लेना चाहते हैं. यह मामला व्यक्तिगत खुन्नस तक ही सीमित नहीं है बल्कि केंद्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री पर अंकुश रखना चाहती है. विगत वर्षों में धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच तनातनी निरंतर बढ़ती चली गई. दोनों में बोलचाल भी नहीं है. राज्यपाल और सीएम का इस तरह का टकराव लोकतंत्र और राज्य की प्रगति के लिए बाधक है.

    राज्यपाल ने एक अभूतपूर्व व असामान्य कदम उठाते हुए आदेश जारी कर विधानसभा का अधिवेशन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. आमतौर पर विधानसभा अधिवेशन को स्थगित या समाप्त करने की घोषणा मुख्यमंत्री के परामर्श पर विधानसभा अध्यक्ष करते हैं. राज्यपाल का इसमें प्रत्यक्ष दखल नहीं होता. राज्यपाल की भूमिका सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण देने तथा विधानसभा में पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर कर कानून का रूप देने तक रहती है. इसके सर्वथा विपरीत धनखड़ ने अपने आदेश को ट्िवटर पर साझा करते हुए कहा कि संविधान की धारा 174 के तहत 12 फरवरी 2022 से राज्य विधानसभा का सत्र (सदन को भंग किए बिना) अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. इस आदेश का स्पष्ट अर्थ है कि विधानसभा सत्र बिना राज्यपाल की अनुमति के नहीं बुलाया जा सकता. जब वे अनुमति देंगे तभी अधिवेशन बुलाया जा सकेगा.

    टीएमसी ने कड़ी आपत्ति जताई

    सत्तारूढ़ टीएमसी के प्रवक्ता सौगत राय ने राज्यपाल के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि राज्यपाल धनखड़ लगातार असंवैधानिक काम कर रहे हैं. उन्होंने विधानसभा सत्र को स्थगित करने का जो आदेश जारी किया है, वह देश में एक अभूतपूर्व घटना है. राज्य सरकार विधानसभा का बजट सत्र बुलाने की तैयारी कर रही थी, इस बीच राज्यपाल ने यह कदम उठाया. सौगत राय ने कहा कि राज्य सरकार राज्यपाल के इस आदेश को अदालत में चुनौती देगी.

    राज्यपाल को पद से हटाने की मांग

    राज्यसभा में टीएमसी के मुख्य सचेतक (व्हिप) सुखेंदु शेखर राय ने नियम 170 के तहत सदन में मौलिक प्रस्ताव लाकर मांग की कि धनखड़ को बंगाल के राज्यपाल पद से हटाया जाए या वापस बुलाया जाए. राज्यपाल निर्वाचित सरकार के कामकाज में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप कर रहे हैं. सरकार के नियमित कामों में दखल देने के अलावा वे सरकार की नीतियों और कामकाज की सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर रहे हैं. केवल इतना ही नहीं वह प्रिंट, टीवी और इंटरनेट मीडिया पर भी बयान जारी कर रहे हैं. उनका काम संविधान के खिलाफ है. राज्यसभा में यदि सभापति प्रस्ताव को अनुमति देते है तो इस पर चर्चा होगी लेकिन बीजेपी का बहुमत देखते हुए प्रस्ताव पारित होगा या नहीं, इसमें संदेह है?