साफ दिखाई देता है कि महाराष्ट्र में जो बीजेपी के खिलाफ बोला, वो जेल गया. राज्य की राजनीति में पिछले ढाई वर्षों से शह और मात का बड़ा खेल चल रहा है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से बीजेपी विरुद्ध महाधिकास आघाड़ी की लड़ाई उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरु हुई और समय के साथ काफी तेज और तीखी होती चली गई. बयानों में नाराजगी, उपहास और एक दूसरे को नीचा दिखाने के तेवर नजर आने लगे. बीजेपी की ओर से आघाड़ी सरकार के नेताओं को सिद्धांतहीन व अवसरवादी के अलावा भ्रष्ट बताया जाता रहा. किरीट सोमैया लगातार वाकृ प्रहार करते रहे. विपक्ष के नेता के रूप में देवेंद्र फडणवीस भी आघाडी सरकार की खिंचाई में पीछे नहीं रहे. मुख्य रूप से एनसीपी पर प्रहार किया जाता रहा क्योंकि शरद पवार की वजह से ही आगाडी बनी थी.
केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता
देश में जैसा माहौल चल रहा था, उसे देखते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियां विपक्षी पार्टियों और उनके नेताओं के खिलाफ सक्रिय हो गई. आघाडी सरकार ने आदेश निकालकर सीबीआई को आने से रोक दिया लेकिन ईडी को नहीं रोक पाई. सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी को अधिकार संपन्न बताते हुए उसकी कार्रवाई को वैध ठहराया. इसी तरह एनआईए और एनसीबी को भी आघाड़ी सरकार नहीं रोक पाई.
सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर निशाना
सबसे पहले ईडी ने आघाडी सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख को निशाना बनाया. बीजेपी नेताओं को लगा कि उनकी घेराबंदी के लिए गृह मंत्रालय का उपयोग किया जा सकता है, इसलिए शुरुआत देशमुख से की गई. अंबानी के बंगले के पास मिले विस्फोटकों के प्रकरण को इस तरह उलझाया गया कि परमवीरसिंह, सचिन वझे को शामिल किया गया. 100 करोड़ हफ्ता वसूली तथा मुखौटा कंपनियों के आरोप लगे. अनिल देशमुख ने जेल जाने के बाद एनसीपी के तेजतर्रार नेता नवाब मलिक को घेराबंदी की गई. नवाब को इसलिए निशाना बनाया ग्या क्योंकि पार्टी प्रवक्ता के रूप में वे बीजेपी के खिलाफ लगातार जहर उगल रहे थे. करीब दर्जन भर शिवसेना नेताओं को नोटिस जारी किए गए. जब शिवसेना में फूट पड़ने के बाद आघाड़ी सरकार गिर गई तो स्पष्ट हो गया कि अब संजय राऊत पर कार्रवाई होगी.
बीजेपी पर लगातार प्रहार करते रहे राऊत
शिवसेना ने तेजतर्रार प्रवक्ता के रूप में संजय राऊत बीजेपी पर लगातार प्रहार करते हुए तीखे आरोप लगाते रहे. बीजेपी नेताओं का मानना है कि 2019 में राऊत की वजह से ही युति की सरकार के बजाय आघाडी की सरकार अस्तित्व में आई. इस वजह से राऊत बीजेपी को दुश्मन नंबर वन बन गए. शिवसेना विधायकों में फूट डालने के बाद भी संजय राऊत ज्यादा मुखर हो गए थे. ऐसे में उन पर कार्रवाई होने का अंदेशा काफी समय से लग रहा था लेकिन यह सब इतनी जल्दी होगा, इसकी संभावना कम लग रही थी. पात्रा चाल का मामला काफी समय पहले बीजेपी ने उठाया था. इस बीच राज्यपाल कोश्यारी के मुंबई को लेकर टिप्पणी के एक दिन बाद ही ईडी ने राऊत पर शिकंजा कस दिया.