Why Islamic History removed from CBSE syllabus navabharat special

ऐसी कोई चीज पाठ्यक्रम में नहीं रहेगी जो हिंदुत्व के गौरव में बाधक हो.

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    ज्ञान की गहराई अथाह है और सूचना का विस्तार असीमित! इसके बावजूद जानबूझकर पाठ्यक्रम में कटौती कर विद्यार्थियों को जानकारी से वंचित रखा जा रहा है. इसमें पढ़ाई का बोझ कम कर छात्रों को राहत देने का उद्देश्य नहीं है बल्कि मकसद यह है कि इतिहास से इस्लाम की स्थापना से लेकर मुगल साम्राज्य के विस्तार तक का सारा घटनाक्रम गायब कर दिया जाए. विद्यार्थियों को सिर्फ हिंदुत्व से जुड़ा इतिहास पढ़ाया जाए तथा वैदिक काल से लेकर अब तक हिंदुत्व की विचारधारा और हिंदू शासकों के बारे में बताया जाए. यह जरूरी नहीं समझा गया कि मोहम्मद बिन कासिम के हमले, बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगजेब का उल्लेख किया जाए. अब यदि छात्र जानना चाहें कि कुतुबमीनार, लालकिला और ताजमहल किसने बनवाया तो उसे कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि सीबीएसई कोर्स से इस्लामी साम्राज्य हटा दिया गया है. ऐसी कोई चीज पाठ्यक्रम में नहीं रहेगी जो हिंदुत्व के गौरव में बाधक हो. छात्रों को क्यों बताया जाए कि भारत में 600 वर्षों तक मुगलों ने शासन किया था! यह एक तरह से इतिहास का शुद्धिकरण (क्कह्वह्म्द्दद्ग) है. क्या पढ़ना है, यह सीबीएसई छात्रों की च्वाइस नहीं है उन्हें क्या पढ़ाया जाना है, यह बोर्ड तय करता है.

    हिंदुत्व विचारधारा को महत्व

    अवश्य ही सीबीएसई को निर्देश रहा होगा कि भारत के सांस्कृतिक गौरव और हिंदुत्व की विचारधारा को महत्व देते हुए राष्ट्रवादी पाठ्यक्रम तैयार किया जाए और उसमें से अनावश्यक चीजें हटा दी जाएं. सीबीएसई ने एनसीईआरटी की सिफारिशों का हवाला दिया और कहा कि बदलाव सिलेबस को और भी ज्यादा विवेकशील बनाए जाने का हिस्सा है.

    शिक्षकों की भिन्न राय

    सिलेबस में किए गए बदलावों पर शिक्षक समुदाय की राय विभाजित है. कोई इसे विद्यार्थियों के फायदे की बात बता रहा है कि उनका अनावश्यक पढ़ाई का बोझ कम होगा तो किसी का मानना है कि इस तरह पाठ्यक्रम की कटौती होने से छात्र बहुत ही महत्वपूर्ण बातें जानने से वंचित रह जाएंगे. कोरोना काल में पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ा इसलिए छात्रों पर भारी-भरकम कोर्स लादने की बजाय उन्हें इस बदलाव के जरिए राहत दी जा रही है.

    महापुरुषों का चरित्र चित्रण कैसे होगा?

    यदि मुगल इतिहास हटा दिया जाता है तो हल्दी घाटी की लड़ाई में अकबर के खिलाफ महाराणा प्रताप का शौर्य कैसे समझाया जाएगा? इसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सल्तनत व औरंगजेब से कैसे मुकाबला किया तथा अफजल खान और शाईस्ता खान से कैसे वीरतापूर्वक निपटे, यह कैसे बताया जाएगा? पृथ्वीराज चौहान ने भी तो 16 बार मोहम्मद गोरी को हराया था. हिंदू शूरवीरों का पराक्रम चित्रित करना है तो मुगलकाल का इतिहास पढ़ाना ही पड़ेगा. क्या इस पहलू पर भी शिक्षाविद विचार करेंगे?