कृषि क्षेत्र को मानसून से उम्मीदें

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    देश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक मानसून पर निर्भर करती है. अच्छी वर्षा हुई तो कृषि क्षेत्र लाभान्वित होता है और महंगाई पर अंकुश लगता है. 2020-21 में जीडीपी 7.3 प्रतिशत गिरने पर भी कृषि क्षेत्र में 3.6 फीसदी की वृद्धि हुई. भारतीय मौसम विभाग ने लगातार तीसरे वर्ष अच्छे मानसून की उम्मीद जताई है. ऐसा अनुमान है कि जून के मध्य तक जब खरीफ फसल की बुआई शुरू होगी, तब तक कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम हो जाएगा.

    यह ऐसा समय है जब सरकार किसानों को तिलहन और दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. देश में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 100 प्रतिशत वृद्धि हुई है. दालें भी महंगी हुई हैं. तेल बीज और दालों का उत्पादन बढ़ाकर महंगाई पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है. इन दोनों का आयात करना पड़ रहा है.

    गेहूं और धान की खेती में कमी लाकर तिलहन व दलहन की खेती को बढ़ाना उचित रहेगा क्योंकि गेहूं-चावल का देश में पर्याप्त स्टॉक है. 2020-21 की फसल से सरकारी एजेंसियां 41.39 मी.टन गेहूं और 54.09 मी.टन चावल खरीद चुकी है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी अच्छा कायम रखना होगा. अभी सोयाबीन, मूंगफली व कपास एमएसपी से अधिक भाव हासिल कर रहे हैं. देश की हरित क्रांति को सिर्फ उत्पादन से नहीं, बल्कि पोषण व पर्यावरण रक्षा के लक्ष्यों से भी जोड़ना होगा.