सरकार न करे हीले-हवाले एयर इंडिया कर दे टाटा के हवाले

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, एयर इंडिया टाटा की हो गई. उसकी खूबसूरती और जवानी लौट आएगी. उसके दिन फिर जाएंगे. टाटा जानते हैं कि घाटे में चल रही एयरलाइन को कैसे पटरी पर लाया जाए. वे सूझबूझ और साहस के साथ सारी दिक्कतों और चुनौतियों को मात देंगे.’’ हमने कहा, ‘‘अभी से खयाली पुलाव मत पकाइए. एयर इंडिया का कब्जा अब भी भारत सरकार के पास है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि टाटा ने सिर्फ सबसे बड़ी बोली लगाई है. एयर इंडिया उनके हवाले करने का फैसला अभी नहीं हुआ है. सरकार उचित समय पर एयर इंडिया के बारे में फैसला करेगी.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘कायदे से टेंडर में सबसे बड़ी बोली लगाने वाले को स्वामित्व सौंप देना चाहिए. अब केंद्र सरकार को किस बात का इंतजार है? वह एयर इंडिया जैसी भारी घाटे में चल रही एयरलाइन को तुरंत टाटा के हवाले कर दे. सफेद हाथी पालकर क्या फायदा?’’ हमने कहा, ‘‘सरकार किसी चीज का कब्जा जल्दी नहीं छोड़ती. जरा सोचकर देखिए कि टाटा के हाथों में एयर इंडिया आई तो अपने मंत्री, सांसद, उच्चाधिकारी मुफ्त में हवाई यात्रा कैसे कर पाएंगे? अभी सरकारी एयरलाइन की हालत ऐसी है कि गरीब की लुगाई, सब की भौजाई! टाटा, एयर इंडिया को पेशेवर ढंग से चलाएंगे. उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होने देंगे. वे नए सिरे से बढ़िया प्रोफेशनल स्टाफ रखेंगे. ऐसे लोगों को नहीं रखेंगे जिनका उड्डयन से कोई लेना-देना नहीं है.

    टाटा पहले एयर इंडिया, एयर एशिया इंडिया और विस्तारा एयरलाइंस का एकीकरण करेंगे, फिर उसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विभागों में बांटेंगे. वे ऐसे हवाई मार्गों पर विमान सेवा चलाएंगे जो मुनाफे के रूट कहलाते हैं. कोरोना संकट दूर हो जाए, आर्थिक हालात दुरुस्त हो जाएं तो एयरलाइन के अच्छे दिन लौट आएंगे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जेआरडी टाटा के समान ही रतन टाटा का दिल एयरलाइन से जुड़ा हुआ है. वे एयर इंडिया की गरिमा वापस लाएंगे. उसकी एयर होस्टेस फिर साड़ी पहनेंगी और यूरोप, अमेरिका व खाड़ी के लिए जाने वाली फ्लाइट में सेवा देंगी.’’