अनन्या बिड़ला से असभ्यता, अमेरिका में आज भी जारी है रंगभेद

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यद्यपि अमेरिका में हर नस्ल के लोग रहते हैं जिनमें यूरोपियन मूल के गोरों के अलावा अफ्रीकन अमेरिकन, इंडियन अमेरिकन, हिस्पैनियन, पोलिनीशियन, रेड इंडियन समुदाय के बचे-खुचे लोगों का समावेश है. फिर भी कुछ गोरे वर्णभेदी मानसिकता रखते हैं. वहां समान योग्यता के बावजूद वेतन देने में भी भेदभाव होता है. कुछ संस्थान गोरों को समान योग्यता के कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा वेतन देते हैं. हालांकि मार्टिन लूथर किंग के सिविल राइट्स आंदोलन के बाद से वहां काफी बदलाव आया है और अश्वेतों को मताधिकार मिले हैं. इतने पर भी अलाबामा, जार्जिया व लुइसियाना जैसे दक्षिणी राज्यों में वर्णभेद की जड़ें काफी गहरी हैं. समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया जब अमेरिका गए थे तो अलाबामा के एक रेस्टोरेंट में उन्हें भीतर जाने से रोक दिया गया था.

इसके विरोध में डॉ. लोहिया वहीं धरने पर बैठ गए थे. मिसीसिपी में एक बार अश्वेतों की बस्तियां जला दी गई थीं. तब से कई दशक बीत गए लेकिन कुछ तत्व आज भी रंगभेदी मानसिकता रखते हैं. यह अमेरिका के उस मूल सिद्धांत के खिलाफ है जो मानव गरिमा (डिग्निटी ऑफ मैन) में अपना विश्वास जताता है. यह अत्यंत खेदजनक है कि विख्यात बिड़ला घराने की एक सदस्य अनन्या बिड़ला के साथ वाशिंगटन के स्कोपा इटैलियन रूट्स रेस्टोरेंट में अपमानजनक नस्लभेदी व्यवहार किया गया. उद्योगपति कुमारमंगलम बिड़ला की बेटी अनन्या ने ट्वीट कर बताया कि उस रेस्टोरेंट ने उन्हें और उनके परिवार को अपने परिसर से बाहर निकाल दिया. यह बेहद नस्लभेदी रवैया था. रेस्टोरेंट को अपने ग्राहकों के साथ सभ्य तरीके से व्यवहार करना चाहिए था. अनन्या ने कहा कि वेटर ने उनकी मां के साथ भी असभ्य व्यवहार किया. ऐसा अप्रिय अनुभव हमेशा के लिए गहरी टीस दे जाता है. इसके बावजूद विदेश में कब कैसी अप्रत्याशित स्थिति पैदा होगी, कहा नहीं जा सकता! एक कहावत है- ‘परदेस कलेश नरेशन को.’ इसका अर्थ है कि राजाओं को भी विदेश में तकलीफ उठाने की नौबत आ जाती है.

बिड़ला परिवार भारत के सर्वाधिक धनी औद्योगिक घरानों में से एक रहा है लेकिन हर विदेशी को इस बारे में जानकारी हो, ऐसा जरूरी नहीं है. जो लोग त्वचा का रंग देखकर भेदभाव करते हैं और भोजन सर्व करने के लिए जानबूझकर 3 घंटे तक इंतजार कराते हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है. अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास को यह मामला संबंधित अधिकारियों के सामने उठाना चाहिए. रंगभेदी मानसिकता रखने वालों को सबक सिखाना बेहद जरूरी है.