उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के बावजूद पंचायत चुनाव कराने के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ की सरकार को आड़े हाथ लिया है. इन पंचायत चुनावों की वजह से संक्रमण गांवों में भी पहुंच गया. चुनाव आयोग ने भी पंचायत चुनाव पर रोक नहीं लगाई. राज्य सरकार के लिए गांवों में कोरोना संक्रमण टेस्ट कराना और बड़ी आबादी का इलाज कराना काफी कठिन होगा.
कोरोना काल में चुनाव कराने के विनाशकारी परिणाम हुए. पंचायत चुनाव की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में काफी एफआईआर दाखिल की गई हैं. इनमें से कई आरोपी कोरोना संक्रमित हो सकते हैं. कोर्ट ने एक अभियुक्त को 3 जनवरी 2022 तक के लिए गिरफ्तारी पूर्व जमानत देते हुए कहा कि वर्तमान समय में जान बचाना जरूरी है. संक्रमण से मौत भी हो सकती है. अदालत संविधान के अनुरूप आदेश दे रही है, जिसका अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है.