केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार के आसार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिहार के चुनाव और मध्यप्रदेश के उपचुनाव नतीजे आ जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के कदम उठा सकते हैं. अत्यंत स्वाभाविक है कि इन चुनाव परिणामों का राष्ट्रीय राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. अंतिम नतीजे चाहे जो भी आएं लेकिन इतना तय है कि बिहार में बीजेपी की ताकत बढ़ी है. मध्यप्रदेश के 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भी बीजेपी बाजी मार रही है. इससे एक ओर जहां शिवराज सिंह(Shivraj singh) सरकार की मजबूती और बढ़ जाएगी, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya scindia) के प्रभाव पर भी मुहर लग जाएगी. अपने समर्थकों के साथ सिंधिया के बीजेपी में आने की वजह से पार्टी को जबरदस्त लाभ हुआ. इसे देखते हुए ज्योतिरादित्य को केंद्र सरकार में शामिल कर महत्वपूर्ण विभाग देने की संभावनाएं प्रबल हो उठी हैं. मोदी के ध्यान में यह बात है परंतु वे चुनाव तक प्रतीक्षा कर रहे थे. बिहार के चुनाव नतीजे व मध्यप्रदेश के उपचुनाव परिणाम आ जाने के बाद प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल में मनचाहा फेरबदल और विस्तार करने के लिए मुक्त होंगे.

सिंधिया की संभावना प्रबल

जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, तभी से यह कयास लगाया जा रहा था कि उन्हें केंद्र में कोई बड़ा मंत्रालय दिया जा सकता है ताकि मध्यप्रदेश में उनके समर्थकों के बीच एक अच्छा संकेत जाए. कुछ भी हो, सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ. मध्यप्रदेश जैसा राज्य उसके हाथ से निकल गया. बीजेपी इस उपलब्धि के लिए सिंधिया को अवश्य पुरस्कृत करेगी और उन्हें केंद्र में किसी अहम मंत्री पद से नवाजा जाएगा.

क्या नीतीश केंद्र में लिए जाएंगे?

यदि बीजेपी बिहार के चुनाव में अपनी अधिक सीटों की वजह से सरकार बनाने की सोचेगी तो एनडीए के अपने सहयोगी दल जदयू के नेता नीतीश कुमार को केंद्र में बुलाकर उनके कद के अनुरूप कोई अच्छा मंत्रालय देने का ऑफर दिया जा सकता है. वजह यह है कि ज्यादा सीटें पाने के बाद बीजेपी पहले के समान उपमुख्यमंत्री पद नहीं लेगी. वह सीएम की पोस्ट चाहेगी. ऐसे में नीतीश को केंद्र में ही समायोजित किया जा सकता है. दूसरी ओर यह भी प्रश्न उठता है कि क्या नीतीश कुमार राज्य की राजनीति छोड़ना चाहेंगे जहां कि उनकी जड़ें हैं? केंद्र में जाने पर नेता अपने राज्य से दूर हो जाता है. ऐसी हालत में सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार क्या फिर पाला बदलेंगे? राजनीति में कुछ भी हो सकता है. फिर यह भी सवाल है कि क्या महागठबंधन नीतीश कुमार को अपने खेमे में स्वीकार करेगा? ऐसे में तेजस्वी यादव की महत्वाकांक्षा का क्या होगा? चुनाव परिणाम संकेत देंगे कि आगे क्या हो सकता है. बिहार से केंद्रीय मंत्रिमंडल के कितने चेहरे लिए जाएंगे, यह नतीजों पर निर्भर करता है. यद्यपि लोजपा का प्रदर्शन बेहद कमजोर नजर आता है, फिर भी चिराग पासवान को केंद्र में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है.

बंगाल व यूपी चुनाव को निगाह में रखेंगे मोदी

प्रधानमंत्री मोदी अगले वर्ष शुरुआत में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव और उसके बाद होने वाले यूपी विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में इन राज्यों को भी पूरा-पूरा महत्व दे सकते हैं ताकि वहां के नेता-कार्यकर्ताओं में उत्साह आए. इस लिहाज से कुछ नामों पर मोदी-शाह जोड़ी विचार कर रही है. बिहार चुनाव के बाद बंगाल फतह करना बीजेपी का बड़ा लक्ष्य है. अमित शाह ने इसे प्राथमिकता दे रखी है, तभी तो बिहार में चुनाव के अंतिम चरण के पहले ही शाह ने बंगाल का दौरा कर लिया था.

यदि ईवीएम सुस्त हैं तो बैलट ही क्यों नहीं?

बिहार के चुनाव (Bihar election) नतीजे आने में विलंब को देखते हुए जनमानस में यह प्रश्न कौंध रहा है कि जब ईवीएम का इस्तेमाल करने पर भी इतनी देर लग रही है तो पहले के समान मतपत्रों से चुनाव क्यों नहीं करा लिया जाता? जब अमेरिका में भी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हुआ तो भारत में ही क्यों ईवीएम से इतना प्रेम है? इस बारे में विचार किया जा सकता है.