कपूत से हाथी ज्यादा प्यारा!

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    लोग औलाद के लिए क्या-क्या नहीं करते! बेटा ऐशो-आराम से रहे इसलिए उसके लिए नसीयत में धन-दौलत-जायदाद छोड़ (Property) जाते हैं. कितने ही नेता और अफसर इसलिए अनापशनाप तरीके से पैसा कमाते हैं ताकि उनका कुलदीपक ऐश करे. उनके परिवार में यही गीत गूंजता है. पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा! अपवाद स्वरूप कुछ ऐसे भी पिता होते हैं जो अपने नालायक बेटे को जमीन, जायदाद से बेदखल कर देते हैं.

    पटना के निकट जानीपुर निवासी अख्तर इमाम (Akhtar Imam) ने अपनी आधी संपत्ति अपनी पत्नी के नाम और आधी प्रापर्टी अपने 2 हाथियों (Elephants) के नाम कर दी. उन्होंने अपने बेटे के लए वसीयत में कुछ भी नहीं लिखा. इमाम ने कहा कि मेरे नहीं रहने पर मेरा मकान खेत, बैंक बैलेंस सब हाथियों के हो जाएंगे. लगता है इमाम को खून के रिश्ते से हाथी ज्यादा प्यारे लगन लगे तभी तो उन्होंने 2 हाथियों के नाम 5 करोड़ की जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री करवा दी. लगता है उन्हें राजेश खन्ना की फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ बहुत पसंद आई होगी. राजेश खन्ना को लोग ‘काका’ कहते थे तो अख्तर इमाम को भी ‘हाथी काका’ कहा जाता है. बेटे के नाम प्रापर्टी नहीं छोड़ने वालों का सॉलिड तर्क रहता है- पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय! इसका अर्थ है कि बेटा सपूत होगा तो खुद ही दौलत कमा लेगा  उसके लिए क्यों पैसा बचाना! यदि बेटा कपूत निकला तो धन बर्बाद कर देगा इसलिए उसके लिए क्यों पैसा छोड़ा जाए!