जम्मू-कश्मीर (Jammu and kashmir) के जिला विकास परिषद चुनाव में बीजेपी का गुजरात माडल फेल हो गया. विपक्ष रहित भारत की कल्पना कभी लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं मानी जाती. अनुच्छेद 370 (Article 370) रद्द करने, राज्य का दर्जा घटाकर केंद्र शासित प्रदेश बना देने, नेताओं को गिरफ्तार का नजरबंद करने जैसे कदमों तथा ईडी सीबीआई के दबाव के बावजूद बीजेपी को घाटी में कामयाबी मिल पाई. विपक्ष को मिटाने या उसके नेताओं को दलबदल करवाकर साथ में मिलाने का बीजेपी का खेल जम्मू-कश्मीर में नहीं चल पाया. इतनी कवायद करने की बजाय यदि कश्मीरियों का दिल जीता जाता तो कश्मीरी भारत से संघर्ष करने की भूमिका नहीं अपनाते.
कड़ी आलोचना के बाद भी गुपकार को सफलता
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ‘गुपकार गैंग’ कहकर नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी व अन्य दलों की तीखी आलोचना की थी. 7 पार्टियों के इस गठबंधन को घाटी में भारी समर्थन मिला. इस दौरान केंद्रीय नेतृत्व ने अब निरस्त हो चुके रोशनी एक्ट में जमीने हड़पने का कश्मीरी नेताओं पर आरोप लगाया था. पीडीपी की युवा शाखा के अध्यक्ष वहीद पारा की गिरफ्तारी जैसे कदम भी उठाए गए लेकिन फिर भी गठबंधन का प्रभाव कम नहीं हो पाया. अब जिला विकास परिषद गठित हो जाने से कश्मीरियों की सुनवाई होगी तथा परिषदों के आकार के आधार पर उन्हें फंड दिया जा सकेगा.