Suvendu Adhikari

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    राजनीति में सिद्धांतवादिता की जगह मौका परस्ती ने ले ली है. जिधर जाने से अपना उल्लू सीधा होता है नेता वहीं का रुख करते नजर आते हैं. उन्हें पार्टी बदलने में कोई शर्म नहीं है. बंगाल में टीएमसी के कितने ही नेताओं ने ममता बनर्जी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. उनका अनुमान था कि देश में बीजेपी की हवा चल रही है और बंगाल में भी यदि बीजेपी जीतेगी तो वे फायदे में रहेंगे. यह सोचकर वे अमितशाह व जेपी नड्डा की सभाओं में जाकर बीजेपी में शामिल हुए. जब चुनाव में टीएमसी भारी बहुमत से जीती तो इन नेताओं को हेश आया.

    वे ममता बनर्जी की खुशामद करके व अपनी गलती के लिए पश्चाप जताते हुए फिर से टीएमसी में लौटना चाहते हैं. ममता ने ऐसे दलबदलुओं को दुत्कार दिया है. बंगाल में हार के बाद बीजेपी छोड़ने वालों की जिस तरह लाइन लगी है उससे बीजेपी हाईकमान हैरत में है. उसने बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को दिल्ली बुलाया. शुभेंदु ने अमित शाह और जेसी नड्डा को बताया कि बंगाल के 3 दर्जन से ज्यादा बीजेपी विधयक टीएमसी के संपर्क में हैं.

    इतना ही नहीं 3 बीजेपी सांसद भी पार्टी छोड़कर टीएमसी में जाने की फिराक में दिखाई देते हैं. राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. शुभेंदु ने कहा कि स्वयं उनके व उनक भाई के खिलाफ पुलिस जांच शुरु कर दी गई है. बीजेपी नेतृत्व ने शुभेंदु अधिकारी को राज्य में आंदोलन तेज करने की सलाह दी व कहा कि वह राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष को बढ़ाएं.