सुको की केंद्र को फटकार युवा डॉक्टरों को फुटबॉल न बनाएं

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    देश में पहले ही डॉक्टरों की कमी है जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है. विभिन्न प्रकार की जटिल बीमारियों के परीक्षण व इलाज के लिए स्पेशलिस्ट डाक्टरों की आवश्यकता होती है. सरकार ने न जाने क्यों राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर सुपर स्पेशियलिटी 2021 (नीट एसएस 2021) के पैटर्न या सिलेबस में अंतिम समय में बदलाव किया. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह युवा डॉक्टरों को सत्ता के खेल में फुटबॉल न बनाए.

    सिलेबस में अचानक बदलाव से परीक्षार्थियों को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है. उनकी सारी तैयारी पर पानी फिर जाता है. सिलेबस ही बदल जाए तो वे पर्चा कैसे हल करेंगे और प्रश्नों का क्या उत्तर देंगे? सिलेबस में अचानक बदलाव के खिलाफ 41 पीजी डाक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. उनकी दलील है कि यह बदलाव जनरल मेडिसिन कैंडिडेट्स के पक्ष में किया गया है. इस तरह के अन्यायपूर्ण रवैये पर कड़ा रुख अपनाते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार इस मामले से जुड़े सभी संबंधित प्राधिकारियों के साथ बैठक कर 4 अक्टूबर तक जवाब पेश करे.

    सुप्रीम कोर्ट ने गत 20 सितंबर को केंद्र और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद को नोटिस जारी किया था. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन की ओर से पेश वकील से जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या सिलेबस में बदलाव से पहले नोटिस जारी किया गया था? जस्टिस नागरत्न ने कहा कि हम इन डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाही की दया पर नहीं छोड़ सकते. अंतिम समय में सिलेबस में बदलाव करने की वजह से इन युवा डॉक्टरों के साथ छल हो सकता है. यह उनके भविष्य का सवाल है. सरकार को अपनी व्यवस्था सुधारनी चाहिए. यदि किसी के पास ताकत है तो वह उसका मनचाहा इस्तेमाल नहीं कर सकता.