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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, रक्षाबंधन का पुनीत पर्व निकट आ रहा है. इस दौरान देश रक्षा के लिए आसमान का प्रहरी राफेल विमान भी आ गया है. जब हर भाई की कलाई पर रक्षाबंधन का सूत्र अर्थात राखी बंधेगी तो उसकी सिक्योरिटी सुनिश्चित हो जाएगी. कितनी ही बहनें सीमा के रक्षक अपने फौजी भाइयों को राखी भेजेंगी.’’ हमने कहा, ‘‘आप राखी के त्यौहार को लेकर बहुत भावुक हो रहे हैं. आपकी हालत ‘मन मा इमोसन जागे रे’ गीत जैसी हो रही है. राखी का पर्व पौराणिक काल से चला आ रहा है. लक्ष्मी ने पाताल में दानव राजा बलि को भाई के रूप में राखी बांधी थी और उसके द्वारपाल बने भगवान विष्णु को वहां से मुक्त कराया था. इसीलिए राखी बांधते समय मंत्र पढ़ा जाता है- येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल:, तेनत्वाम प्रतिबद्धनामि रक्षा कुरु मा चल-मा चल! मेवाड़ की रानी कर्मावती ने भी हुमायूं को राखी भेजी थी ताकि वह गुजरात के शासक बहादुरशाह के हमले से उसकी रक्षा करे. बहन तो भाई को राखी का स्नेह सूत्र बांधती ही है, पुरोहित भी अपने यजमान की कलाई में रक्षासूत्र बांधते हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इस समय कोरोना संक्रमण की भयानक आपदा है. उससे रक्षा की कामना करते हुए राखी बांधी जानी चाहिए. दुआओं में बहुत असर होता है. इस बार तो कोरोना वायरस के शेप वाली फैंसी राखी भी बाजार में आ गई है. इतने पर भी कोरोना का वैक्सीन आ जाए तो जान में जान आ जाएगी.’’ हमने कहा, ‘‘दुनिया भर के विभिन्न देशों में वैज्ञानिक वैक्सीन ईजाद करने में लगे हैं. भारत बायोटेक इंटरनेशनल व इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलाजी पुणे ने डीसीआई की अनुमति से देश के 12 केंद्रों में ह्यूमन ट्रायल शुरू किया है. इस को-वैक्सीन का पहले न्यूजीलैंड में प्राणियों पर ट्रायल किया जा चुका है. महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के गिल्लुरकर हास्पिटल में भी पहले चरण में 18 से 55 वर्ष के इच्छुक लोगों पर ट्रायल हो रहा है. यह ट्रायल ऐसे लोगों पर हो रहा है जिन्हें कोई बीमारी नहीं है. 100 लोगों ने खुद को ट्रायल के लिए दर्ज कराया है. जब मानवों पर नतीजे सही आएंगे तो इस वैक्सीन के प्रोडक्शन की इजाजत मिल जाएगी. इसके बाद इसके बाजार में आने की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इसमें कई महीने लग जाएंगे. तब तक हम क्या करें?’’ हमने कहा, ‘‘आप एहतियात व धैर्य बरतिए. मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कीजिए. कोई भी जीव अमर नहीं होता. कोरोना का विषाणु भी अपनी मौत पर मर जाएगा.’’