Dogs Police
(Source: Mumbai Police/Twitter)

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    नागपुर. केंद्र और राज्य सरकार की सेवा से निवृत्त हुए श्वानों की अंतिम दिनों में भी देखभाल के लिए नीति बनाई जाने की जानकारी देने के बाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 में ही जनहित याचिका का निपटारा कर लिया था. किंतु अब रक्षा विभाग की सेवा से सेवानिवृत्त लकी नामक श्वान बुरी दशा में सावनेर शहर में मिलने से पुन: हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई.

    याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने रक्षा मंत्रालय और रेल मंत्रालय के अलावा मनपा और अन्य विभागों को भी नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. एसएस संन्याल, रक्षा विभाग की ओर से अधि. मुग्धा चांदुरकर, रेल विभाग की ओर से अधि. एनपी लांबट और मनपा की ओर से अधि. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की.

    जमीनी स्तर पर नीति नदारद

    बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत मित्र अधि. संन्याल ने कहा कि रक्षा विभाग ने गत समय हलफनामा देकर इस तरह के श्वानों की अंतिम दिनों में देखभाल करने का आश्वासन दिया था. किंतु आलम यह है कि जमीनी स्तर पर नीति नदारद है. इसका उदाहरण है कि सावनेर की एक सड़क के कोने पर रक्षा विभाग का श्वान ‘लकी’ पाया गया है जिससे इस संदर्भ में विभाग को उचित दिशानिर्देश जारी होना जरूरी है. सुनवाई के बाद अदालत ने भी नाराजगी जताते हुए 4 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश संबंधित विभागों को दिए. 

    RPF के ‘रेनो’ का भी ऐसा ही अंत

    गत समय अदालत ने इसी जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सभी केंद्र और राज्य इकाइयों को श्वान, घोड़े और सेवा में शामिल अन्य जानवरों की देखभाल के लिए नीति बनाने का सुझाव दिया था. रेल विभाग की ओर से पैरवी कर रहे अधि. लांबट ने कहा था कि रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) ने भी इसी तरह की नीति तैयार की.

    नीति के अनुसार कुछ एनजीओ को चिन्हांकित कर सेवा से निवृत्त इन जानवरों को देखभाल के लिए देने का प्रावधान किया गया था. विशेष रूप से आर्मी के जानवरों के लिए यह नीति तैयार की गई थी. सुनवाई के दौरान ही रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के ‘रेनो’ नामक लैब्राडोर का मामला भी उजागर हुआ था. अंतिम दिनों में उसे निजी लोगों द्वारा पाला गया था.