चीन के साथ अपनापन, मस्क की मोदी से वादाखिलाफी

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    इलेक्ट्रिक कार टेस्ला बनाने वाले एलन मस्क ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेवफाई की. 2015 में मोदी कैलिफोर्निया स्थित टेस्ला फैक्टरी में गए थे. उन्होंने मस्क को निमंत्रण दिया था कि भारत आकर अपना प्लांट लगाओ. तब मस्क ने भी इस ऑफर पर अनुकूल रुख दिखाया था. इसके बाद मस्क ने चीन से डील कर लिया और 2017 में शंघाई जाकर टेस्ला ई-कार की फैक्टरी लगाई.

    वहां उन्होंने 2020 में मेड इन चाइना माडेल-3 सेडान पेश की जो चीन की पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी है. मस्क से उम्मीद नहीं थी कि भारत के प्रति ऐसा शुष्क रवैया अपनाएंगे. वे अंतरिक्ष में लोगों को ले जा सकते हैं

    लेकिन इलेक्ट्रिक कार की फैक्टरी भारत नहीं ला सकते. भारत स्वाभिमानी देश है. वह मस्क को मस्का नहीं लगाएगा. ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ की तर्ज पर मस्क ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि भारत उनकी टेस्ला गाड़ियों पर शत-प्रतिशत ड्यूटी लगा रहा है. मतलब जितने की गाड़ी, उतना ही टैक्स! मस्क का कहना है कि यह बड़ी नाइंसाफी है. जब इंडिया की बजाय चीन पहुंच गए तो मस्क की मस्ती दूर करने के लिए ऐसा ही बर्ताव जरूरी है.

    मोदी और ट्रम्प की दोस्ती के बाद भी भारत ने अमेरिका की हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिलों पर 100 प्रतिशत ड्यूटी लगाई थी. हमारे कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बिना सोचे-समझे एलन मस्क को सीधे ऑफर दिया कि वे अपने राज्य में टेस्ला का प्लांट लगाने के लिए जमीन देने को तैयार हैं.

    पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र व बंगाल के नेताओं ने यह भी नहीं सोचा कि किसी विदेशी से भारत में निवेश संबंधी समझौता सिर्फ केंद्र सरकार कर सकती है, राज्यों को इसका अधिकार नहीं है. यदि मस्क भारत सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखें कि वे  नॉकडाउन कंडीशन में अपनी गाड़ी लाएंगे और यहां फैक्टरी डालकर उसके पुर्जे जोड़कर असेम्बल करने का काम होगा तथा उसमें भारतीय टेक्नीशियनों को रोजगार मिलेगा तो शायद सरकार उनके ऑफर पर विचार कर सकती है.