
न जाने क्यों और किसके इशारे पर एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों से महत्वपूर्ण चैप्टर हटा रहा है. दलील यह दी जा रही है कि कोरोना महामारी को देखते हुए छात्रों का बोझ कम करने के उद्देश्य से सिलेबस में बदलाव किया जा रहा है. अब तो कोरोना का संकट नहीं रहा और पढ़ाई भी ऑफलाइन या क्लास रूम में होने लगी है तो फिर सिलेबस में काटछांट क्यों की जा रही है? पहले कक्षा 9वीं व 10वीं की विज्ञान पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी (विकासवाद का सिद्धांत) हटा दिया गया जिसका देश के 100 से अधिक वैज्ञानिकों और विज्ञान शिक्षकों ने विरोध किया. इस विरोध का कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि सब कुछ सरकारी निर्देशों के मुताबिक हो रहा है. अब एनसीईआरटी ने 10वीं की किताब से लोकतंत्र या डेमोक्रेसी का पूरा चैप्टर ही हटा दिया.
राजनीतिक दलों तथा लोकतंत्र की चुनौतियों के पार्टीकरण के पूर्ण अध्याय को हटा दिया. विश्व के अधिकांश देशों ने तानाशाही और राजतंत्र को ठुकराकर लोकतंत्र को अपनाया. भारत आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां नागरिकों को मताधिकार हासिल है और अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है. लोकतंत्र की इतनी महत्ता होने पर भी इस चैप्टर को क्यों हटाया गया? ऐसे में आनेवाली पीढ़ी को लोकतंत्र की जानकारी ही नहीं होगी. भारत का संविधान लोकतंत्र व वयस्क मताधिकार पर बल देता है फिर इसे सिलेबस से हटाना सिराफिरापन नहीं तो और क्या है? सदियों के संघर्ष और बलिदान के बाद भारत को स्वाधीनता और लोकतंत्र नसीब हुए. इस चैप्टर को हटाना इनकी उपेक्षा करने जैसा होगा.
बच्चों की उम्र अधिकतम ज्ञानार्जन करने की होती है. उनका बोझ कम करने के नाम पर उन्हें आवश्यक जानकारी से वंचित किया जा रहा है. यह मनमानी नहीं तो और क्या है? एनसीईआरटी ने 10वीं की विज्ञान पाठ्यपुस्तक से केमिस्ट्री का पीरियाडिक टेबल भी हटा दिया जिसे अमेरिकी केमिस्ट ग्लेन टी. सीबोर्ग ने सिद्धांत और व्यवहार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण अवधारणा बताया था. इसी तरह कक्षा 6 से महात्मा गांधी और उनके द्वारा लोकप्रिय बनाए गए चरखे के उपयोग का उल्लेख हटाया गया.
इसमें लिखा था कि विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने के लिए लोग चरखे से खादी बनाएं और स्वदेशी वस्त्र पहनें. आजादी की लड़ाई में चरखे का बड़ा महत्व था. आखिर शालेय शिक्षा प्रणाली किस दिशा में जा रही है. छात्रों को न लोकतंत्र की जानकारी होगी न स्वाधीनता संग्राम में प्रयुक्त चरखे और खादी की! कोरोना महामारी की आड़ लेकर सिलेबस में कटौती का बहाना मिल गया और पढ़ाई का बोझ कम करने के काम पर महत्वपूर्ण चैप्टर हटाए जा रहे हैं. यह कैसा सिरफिरापन है?