
बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री व जदयू नेता नीतीश कुमार (CM and JDU leader Nitish Kumar) ने व्यथा व्यक्त की है कि कांग्रेस (Congress) का ‘इंडिया’ (I.N.D.IA.) पर ध्यान नहीं है. ‘इंडिया’ की सक्रियता थमने के लिए इसका प्रमुख घटक कांग्रेस ही जिम्मेदार है. देश की इस सबसे पुरानी पार्टी की फिलहाल 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में दिलचस्पी है और विपक्षी मोर्चे को आगे बढ़ाने की उसे फिक्र नहीं है. नतीश कुमार को स्वयं समझना चाहिए कि कांग्रेस की तत्कालिक प्राथमिकता क्या है. जब विधानसभा चुनाव सन्निकट हैं तो वह अभी से मई 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की चिंता में क्यों सिर खपाए.
इन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सत्ता कायम रखनी है और मध्यप्रदेश में वह बीजेपी से सत्ता छीनने का लक्ष्य लेकर चल रही है. तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस से कांग्रेस का सीधा मुकाबला है. क्या नीतीश चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव के इस रणक्षेत्र को छोड़कर कांग्रेस इसी समय ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूत करने में लग जाए? हर पार्टी अपनी प्राथमिकता पहले देखती है. यदि कांग्रेस 5 में से 2 या 3 राज्यों में जीत जाती है तो उसका रचनात्मक असर विपक्षी गठबंधन पर पड़ेगा और उसका हौसला बढ़ेगा.
विधानसभा के इस चुनाव को मई में होनेवाले आम चुनाव का सेमीफाइनल माना जा सकता है. अभी ‘इंडिया’ गठबंधन में कितने ही नेता कांग्रेस और खास तौर पर राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर पॉजिटिव रवैया नहीं रखते. ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. इंडिया गठबंधन ऐसी बारात के समान है जिसका दूल्हा अभी तय नहीं है. यूपी में सपा नेता अखिलेश यादव अपना वर्चस्व चाहते हैं.
कुछ दशकों से कांग्रेस वहां काफी कमजोर स्थिति में है. पिछली बार राहुल गांधी अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे. यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार में प्रियंका गांधी की सक्रियता भी कोई काम नहीं आई थी. अभी लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे का जो समझौता हुआ है, उससे पता चलता है कि प्रदेश में कांग्रेस की क्या हैसियत रह गई है.
कुल 80 लोकसभा सीटों में 70 सीटों पर सपा लड़ेगी. उसने कांग्रेस के लिए सिर्फ 10 सीटें छोड़ी हैं. इसके अलावा विपक्षी गठबंधन का डंका अकेले कांग्रेस ने नहीं ले रखा है. बाकी पार्टियों के नेताओं को भी इस बारे में फिक्र करनी चाहिए. कम से कम न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने आम चुनाव की रणनीति बनाने, जो पार्टी जहां मजबूत है, उसके लिए वहां सीट छोड़ने की तैयारी रखनी चाहिए. गठबंधन में विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता कैसे एकजुट होकर काम कर पाएंगे, यह भी देखना होगा.