बेहाल हुआ बांग्लादेश भारत का एक और पड़ोसी कंगाल

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पाकिस्तान और श्रीलंका की बदहाली के बाद अब बांग्लादेश भी कंगाल हो गया है. जहां उद्योग-धंधे ठप हों और घरेलू उत्पादन नहीं के बराबर हो, वहां की अर्थव्यवस्था का भगवान ही मालिक है. बाढ़ जैसी विपरीत प्राकृतिक स्थितियों और बढ़ती आबादी की समस्या से पहले ही बांग्लादेश जूझता आ रहा है. हजारों बांग्लादेशी भारत में अवैध घुसपैठ करते हैं क्योंकि यहां खाने का ठिकाना नहीं है. भारत का 1 रुपया बांग्लादेश के 2 टका के बराबर है. भारत ने न केवल स्वतंत्र सार्वभौम राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का निर्माण किया बल्कि उदार दृष्टिकोण रखते हुए समय-समय पर उसकी मदद भी की.

इतने पर भी यदि कोई देश अपने कदमों पर खड़ा न हो पाए तो यह उसकी समस्या है. विगत वर्षों में ऐसा माना जा रहा था कि बांग्लादेश एक उभरती अर्थव्यवसथा है लेकिन फिलहाल वह बड़े आर्थीक संकट से जूझ रहा है. स्थिति इतनी गंभीर है कि वहां इस भीषण गर्मी में देश के सबसे बड़े पॉवर प्लांट को बंद करने की नौबत आ गई. आयात पर ज्यादा निर्भरता ने भी वहां की इकोनॉमी को खोखला कर दिया. बांग्लादेश में सिर्फ धान और जूट की पैदावार होती है.

अनाज, शक्कर, मसाले, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट, कपास सहित लगभग हर चीज बांग्लादेश को विदेश से आयात करनी पड़ती है. उसे ईंधन का भुगतान करना मुश्किल हो गया है. बांग्लादेश पर 6 विदेशी कंपनियों के 300 मिलियन डॉलर से ज्यादा बकाया हैं. अगर तय कार्यक्रम के मुताबिक वह ईंधन आयात नहीं कर पाया तो देश में सप्लाई बुरी तरह प्रभावित होगी. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से बांग्लादेश में कीमतें आसमान छूने लगीं. इस वजह से बांग्लादेश का इम्पोर्ट बिल बढ़कर 82.49 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा जो कि गत वर्ष की तुलना में 36 प्रतिशत ज्यादा है. बांग्लादेश में मनी लांड्रिंग बढ़ गई है जिसमें डॉलर का संकट बढ़ा है.

डॉलर के मुकाबले टका की कीमत बुरी तरह गिरी है. विदेशी मुद्रा कोष भी संकट में देखा जा रहा हैं. बांग्लादेश का फारेन एक्सचेंज रिजर्व 46 विलियन डॉलर था जो अप्रैल 2023 के अंत तक घटकर 30 बिलियन डॉलर पर आ गया. देश में महंगाई दर 9.9 फीसदी है. ऐसी हालत में स्वाभाविक है कि बांग्लादेश मदद के लिए विश्व बैंक या आईएमएफ से गुहार लगाए.

इसके अलावा वह भारत या चीन की मदद भी मांग सकता है. चीन से मदद लेना उसके लिए और भी आत्मघाती होगा. वह कर्जदार देश के संसाधनों पर कब्जा कर लेता है. चीन के बैंक मोटी व्याजदर पर कर्ज देते हैं. चीन के चंगुल में श्रीलंका बुरी तरह फंसा हुआ है. पाकिस्तान तो पूरी तरह चीन पर निर्भर है. इसलिए भारत की चिंता है कि कहीं बांग्लादेश भी चीन के कर्ज जाल में न फंस जाए!