12 MLC की नियुक्ति किस इंतजार में हैं राज्यपाल कोश्यारी

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    सरकार के बाद अब तो हाईकोर्ट ने भी 12 एमएलसी की नियुक्ति पर जल्द फैसला लेने का संकेत दिया है. फिर किस इंतजार में हैं राज्यपाल? आखिर फैसला कब तक होगा? लेकिन जब बाम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल किसी को जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं और उन्हें अदालत कोई निर्देश नहीं दे सकती तो ऐसे में राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी विधान परिषद की 12 सीटों पर सदस्यों की नियुक्ति के बारे में शीघ्र फैसला क्यों करेंगे? जिस तरह उन्होंने 9 महीने से फैसला लटका रखा है, वैसे ही आगे भी लटकाए रहेंगे. उन पर कोई कानूनी बाध्यता तो है ही नहीं.

    कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि राज्यपाल को फैसला कब तक करना चाहिए. 12 एमएलसी की नियुक्ति में हो रही देरी के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कोश्यारी को लेकर कोई सीधा फैसला नहीं सुनाया लेकिन इतना अवश्य कहा कि इस नियुक्ति को ज्यादा दिनों तक नहीं लटकाया जा सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि हमने राज्यपाल को संविधान के तहत दी गई शक्तियों व अधिकारों के संबंध में कुछ बातों को ध्यान में रखा है लेकिन यदि किसी विशेष कारण से 12 एमएलसी की नियुक्तियों में ऐसा विलंब हो रहा है तो उसे एक्सप्लेन किया जाना चाहिए. राज्यपाल को इस संबंध में मुख्यमंत्री को जवाब देकर स्थिति से अवगत कराना चाहिए. व्यवस्था के लिए सीएम व राज्यपाल के बीच समन्वय होना चाहिए. इस प्रकार मनोनीत सीटों को अनिश्चितकाल के लिए खाली नहीं छोड़ा जा सकता.

    राज्य के हित में जल्द से जल्द फैसला लेना उचित होगा. हाईकोर्ट के परामर्श के बाद राज्यपाल कोश्यारी ने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. यद्यपि कहा गया कि यह सदभावना भेंट थी लेकिन माना जा रहा है कि इस भेंट के दौरान 12 विधान परिषद सदस्यों की नियुक्ति का मामला प्रमुख रहा. राज्यपाल ने शाह से परामर्श लिया होगा कि हाईकोर्ट की राय के बाद अब उनके लिए क्या करना उचित रहेगा तथा केंद्र का इस बारे में क्या निर्देश है? महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद ने नवंबर 2020 में विधान परिषद के राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों के लिए 12 नामों की सिफारिश भेजी थी. आमतौर पर शीघ्र ही इस तरह की सूची को मंजूरी दे दी जाती है लेकिन राज्यपाल ने 9 माह से इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है.