महाराष्ट्र में राहुल की यात्रा से कुछ सीखेंगे कांग्रेसी या वापस पुराने ढर्रे पर!

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    महाराष्ट्र में कांग्रेस के चरमराते ढांचे को नई ऊर्जा मिल सकती है बशर्ते राज्य के कांग्रेसी नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कुछ सीख लें और परस्पर जुड़े रहकर पार्टी को मजबूत व एकजुट बनाने का संकल्प लें. यह यात्रा ऐसे समय हुई जब राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार गिरने के बाद से कांग्रेसी नेता हतोत्साहित हो गए थे. सत्ता की भागीदारी से दूर होने से आई हताशा ने उन्हें घेर लिया था. 

    वैसे भी आघाड़ी में शिवसेना व एनसीपी की तुलना में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है. जब राज्य में कोई पार्टी कमजोर होती है तो उसके नेताओं का विश्वास डगमगा जाता है. पार्टी की गुटबजी और उभर आती है और कुछ नेता यह मानकर कि यहां कुछ नहीं रखा है, पाला बदल कर अन्य पार्टी में जाने की सोचने लगते हैं. राहुल गांधी की यात्रा ने माहौल को बदलते हुए कांग्रेस को संजीवनी दी. 

    इसके पहले चर्चा थी कि अशोक चव्हाण, अमित देशमुख, धीरज देशमुख, मिलिंद देवड़ा, असलम शेख जैसे नेता कांग्रेस छोड़ सकते हैं लेकिन राहुल ने अपनी यात्रा के जरिए माहौल को चमत्कारिक ढंग से बदल दिया. असंतुष्ट व हताश नजर आनेवाले नेता साथ आकर कदमताल करने लगे. अशोक चव्हाण ने मराठावाडा के नांदेड़ में यात्रा का पूरा दायित्व संभाला मिलिंद देवड़ा भी यात्रा में शामिल हुए. 

    अशोक चव्हाण ने कहा कि इस यात्रा से कांग्रेस को नया बल मिलने के साथ राहुल की छवि में एक बड़ा बदलाव आया है. वे गेमचेंजर साबित होंगे. राहुल की यात्रा व सभाओं में स्वेच्छा से भारी भीड़ उमड़ी. अब राज्य के कांग्रेस नेताओं को समझ में आ गया कि पार्टी को अपनी शिथिलता दूर कर नए उत्साह और जोश के साथ एकजुट होकर काम करने और जनता के बीच जाने की जरूरत है. 

    गुटबाजी ग्रहण दूर करने के साथ ही उस आत्मघाती प्रवृत्ति को रोकना होगा जिसमें एक नेता अपनी ही पार्टी के दूसरे नेता की टांग खींचता है. निश्चित रूप से सोई हुई कांग्रेस को राहुल गांधी ने झकझोर कर जगा दिया और उसमें नई चेतना ला दी. जिस तरह वे सभी गुटों के नेताओं को एक मंच पर लाने में कामयाब हुए, उस सिलसिले को आगे बढ़ाना होगा. कांग्रेस के गांव-गांव में कार्यकर्ता हैं. 

    सिर्फ उनमें गतिशीलता, ओज और उत्साह कायम रखना है. महाराष्ट्र में राहुल ने अपना काम कर दिया अब यहां के कांग्रेस नेताओं को तय करना है कि कुछ सीखेंगे या वापस पुराने ढर्रे पर चले जाएंगे! चिस चिराग को राहुल ने प्रज्वलित किया उसमें पार्टी निष्ठा का तेल डालकर उसकी ज्योति अक्षुण्ण रखने की जिम्मेदारी राज्य के कांग्रेस नेताओं की है.