विदर्भ में कोरोना संक्रमण तेज, राज्य भर में स्कूल खोलना कितना सही

    Loading

    क्या राज्य सरकार सिर्फ मुंबई, ठाणे, पुणे तक ही सीमित है? वह पश्चिम महाराष्ट्र की परिस्थितियों को देखकर समूचे राज्य के लिए निर्णय लेती है, जबकि 11 जिलों वाले विदर्भ के हालात ध्यान में नहीं रखे जाते. सरकार ने सोमवार 24 जनवरी से राज्य में स्कूल खोलने का निर्णय ले लिया. ऐसा फैसला लेते समय नागपुर जिले के बारे में नहीं सोचा गया जहां संक्रमितों की तादाद बढ़ रही है. इस हालत में 24 जनवरी तो दूर की बात है, इस महीने भर स्कूल खुलने के आसार नजर नहीं आते.

    जिस वक्त नागपुर सहित विदर्भ में कोरोना के मरीजों की संख्या कम थी, उस समय मुंबई में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था. तब सरकार ने मुंबई को छोड़कर राज्य के बाकी जिलों की समीक्षा किए बगैर ही स्कूल-कॉलेज बंद करने का निर्णय ले लिया. तब भी सरकार के बेतुके फैसले का कई संगठनों ने विरोध किया था. अब जब मुंबई में संक्रमित कम हो गए तो वहां की स्थिति देखते हुए सरकार ने पूरे राज्य में 24 जनवरी से स्कूल खोलने का फैसला ले लिया.

    शासन ने यह नहीं देखा कि अभी नागपुर सहित विदर्भ में संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. गुरुवार को नागपुर जिले में 4,428 संक्रमित मिले हैं जबकि मुंबई में स्थिति काबू में आ गई है. इसके पूर्व सरकार ने बढ़ते कोरोना प्रकोप को देखते हुए 4 जनवरी से स्कूल-कालेजों को 15 फरवरी तक बंद करने का ऐलान किया था.

    4 जनवरी को नागपुर जिले में 196 संक्रमित मिले थे जबकि अगले दिन ही संख्या बढ़कर 404 हो गई थी. यह तादाद दिनोंदिन बढ़ने लगी. दूसरा पहलू यह भी है कि हजारों छात्र इंटरनेट सुविधा से वंचित हैं तथा स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. जिन बच्चों के पास मोबाइल है, वे ऑनलाइन क्लास खत्म होने के बाद भी मोबाइल का उपयोग करते हैं या गेम खेलते रहते हैं.

    यद्यपि सरकार ने स्थानीय प्रशासन को परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने का अधिकार दिया है परंतु 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा राज्य भर में एकसाथ ली जाती है, इससे विदर्भ के छात्रों का नुकसान होना तय है.