भ्रष्टाचार का बोलबाला, राजस्व विभाग और पुलिस में ज्यादा

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    देश की प्रगति को भ्रष्टाचार की दीमक खोखला किए जा रही है. कुछ विभाग तो भ्रष्टाचार के लिए काफी बदनाम हैं. महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा तैयार की गई 44 भ्रष्ट सरकारी विभागों की लिस्ट में राजस्व विभाग पहले क्रमांक पर है. इनके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र पुलिस है. राजस्व विभाग के 72 और पुलिस के 67 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ करप्शन के मामले दर्ज किए गए. 

    एसीबी ने विगत 6 महीनों में 306 भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई कर 314 भ्रष्टाचार के मामले दाखिल किए. इसमें बेहिसाबी मालमत्ता के 6 मामले हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई में 14.3 करोड़ रुपए की बेहिसाबी संपत्ति जब्त की गई. यह कितने आश्चर्य की बात है कि मुंबई के एक सामान्य पुलिस हवलदार सुरेश बामणे और उसकी पत्नी के पास 12.7 करोड़ रुपए की संपत्ति पाई गई. 

    एसीबी द्वारा दाखिल भ्रष्टाचार के मामलों में 4 प्रथम श्रेणी, 11 द्वितीय श्रेणी, 64 तृतीय श्रेणी अधिकारियों का समावेश है. शर्म की बात है कि पहले ही आसमानी-सुलतानी मुसीबतें झेल रहे किसानों से भी रिश्वत लेने में बैंक कर्मी पीछे नहीं रहते. एसीबी ने विविध बैंकों से 2.3 करोड़ रुपए के 43 चेक जब्त किए. यह चेक विभिन्न किसानों के थे. उनसे रिश्वत के रूप में अग्रिम रकम ली गई थी. एसीबी ने सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा गत सप्ताह बीजेपी विधायक नरेंद्र मेहता व उनकी पत्नी के खिलाफ 8.25 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति जमा करने का मामला दर्ज किया. 

    एसीबी ने भिवंडी के नायब तहसीलदार विट्ठल गोसावी, दलाल विजय भोयर तथा लक्ष्मण सिंह राजपुरोहित को रेलवे प्रकल्पग्रस्त किसानों से 6 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा. इसके अलावा बीएमसी के 19, जिला पंचायत के 20, पंचायत समिति के 29, वन विभाग के 6, सार्वजनिक निर्माण विभाग के 7 तथा शिक्षा विभाग के 13 भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा. लगता है कानून का डर खत्म हो गया है और भ्रष्टाचारी पूरी तरह बेशर्म हो गए हैं. अन्ना हजारे के आंदोलन के बावजूद भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है.