सुविधाओं व योजनाओं से वंचित, देश के 10 राज्यों के अल्पसंख्यक हिंदू

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    यह मामला वाकई चिंताजनक है कि देश के 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं. यह देखा गया है कि जहां हिंदू आबादी कम हुई, वहां यह समुदाय असुरक्षित हो जाता है. इसके अलावा खास बात यह है कि इन 10 राज्यों के हिंदू, माइनॉरिटी को दी जानेवाली सुविधाओं व योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. 

    इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी गई थी और मांग की गई थी कि राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने का दिशानिर्देश दिया जाए. सरकार कोरोना के बहाने इस याचिका पर अपना उत्तर दाखिल करने में टालमटोल करती रही. 

    केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर 7500 रुपए जुर्माना करते हुए 2 सप्ताह में उत्तर दाखिल करने को कहा. इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह की अंतिम मोहलत दी थी परंतु इस मामले में सुनवाई स्थगित करने की प्रार्थना वाला एक पत्र न्यायमूर्ति एसके कौल और न्या. एमएम सुंदरेश की पीठ को दिया गया. 

    केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता केएम नटराज ने कहा कि कोरोना की वजह से निर्माण हुई स्थिति के कारण सरकार को इस मुद्दे पर निर्णय लेने में विलंब हो रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इस याचिका पर 28 अगस्त 2020 को नोटिस भेजा गया था, इसलिए अब कोई बहानेबाजी न की जाए. 

    अब तक सरकार ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल न करते हुए गलती की है. अब इस मामले की सुनवाई 28 मार्च को होगी. कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार किस तरह लेटलतीफी करती है, उसका यह ज्वलंत उदाहरण है. जब 10 राज्यों में अल्पसंख्यक हो चुके हिंदू उन्हें मिलने वाली सुविधाओं व योजनाओं से वंचित हैं तो क्या इसे लेकर सरकार को फिक्र नहीं होनी चाहिए?