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पवार ही इस सरकार के वास्तविक कर्ता-धर्ता और मार्गदर्शक हैं.

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    यह बात अपनी जगह सच है कि महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री भले ही शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे हैं लेकिन सत्ता की असली ताकत एनसीपी के पास है. बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के नाम पर आघाड़ी बनी लेकिन इसमें शामिल तीनों पार्टियों में यदि किसी का वर्चस्व है तो वह शरद पवार की पार्टी एनसीपी का ही है. पवार ही इस सरकार के वास्तविक कर्ता-धर्ता और मार्गदर्शक हैं.

    विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने निधि आवंटन के मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा और आंकड़ों के जरिए बताया कि बजट की 57 प्रतिशत निधि एनसीपी के मंत्रियों को मिल रही है, जबकि शिवसेना को केवल 16 प्रतिशत निधि पर ही समाधान करना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री की पार्टी को एनसीपी की तुलना में एक-तिहाई से भी कम निधि उपलब्ध है. इस स्थिति को लेकर शिवसेना में भी असंतोष व्याप्त है तथा विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं.

    शिवसेना नेता व सांसद गजानन कीर्तिकर ने महाविकास आघाड़ी पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘ठाकरे सरकार’ तो सिर्फ नाम है, असली लाभ तो ‘पवार सरकार’ ले रही है. शिवसेना विधायक राज्य सरकार से निधि मांगते हैं जिससे वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य करवा सकें लेकिन ग्राम विकास मंत्रालय की योजनाओं से निधि हासिल करने में कड़ी स्पर्धा देखने को मिलती है.

    मुंबई के शिवसेना विधायकों की हालत कुछ बेहतर है क्योंकि मुंबई में सीएम फंड, नगर विकास फंड रहता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के जो जनप्रतिनिधि रहते हैं, उन्हें अपने चुनाव क्षेत्रों में कितने ही गांव देखने पड़ते हैं. सांसद कीर्तिकर ने कहा कि उनसे जितनी भी हो पाती है, उतनी मदद ऐसे विधायकों की अवश्य करते हैं. यह सही है कि एनसीपी के पास मलाईदार विभाग हैं, साथ ही उसका दबदबा भी काफी है, इसलिए शिवसेना उसकी तुलना में हल्की पड़ती है.

    यदि राज्य में बीजेपी-शिवसेना की युति सरकार होती तो शिवसेना को इतनी कम निधि नहीं मिलती. अगर शिवसेना विधायक अपने क्षेत्र में पर्याप्त विकास कार्य नहीं करवा पाए तो जनाधार कैसे मजबूत कर पाएंगे और उनका चुनावी भविष्य क्या होगा?