किसान आंदोलन में भटकाव, दिशाहीन नेताओं को हटाया गया

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    किसानों की राजनीति की नींव रखने वाले महेंद्रसिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) विभाजित हो गई. संगठन के नाराज नेताओं ने टिकैत भाइयों- राजेश टिकैत और नरेश टिकैत को बाहर का रास्ता दिखाकर राजेशसिंह चौहान को अपना नया नेता चुन लिया. किसान नेताओं की बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का गठन किया गया. नये संगठन में अनिल तालान को राष्ट्रीय महासचिव तथा धर्मेंद्र मलिक को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. दूसरी ओर टिकैत बंधुओं ने अपने संगठन से राजेशसिंह चौहान समेत 7 नेताओं को बर्खास्त कर दिया. 

    फतेहपुर के राजेशसिंह चौहान ने अध्यक्ष चुने जाने के बाद कहा कि भारत सहित विश्व के तमाम देशों में किसानों के साथ एक जैसी समस्या है. इसके समाधान के लिए किसानों का ऐसा संगठन होना चाहिए जो तथ्यों के साथ सरकार से संवाद कर सके. हम किसानों के कल्याण के बारे में संघर्ष करेंगे, न कि किसी राजनीतिक दल से जुड़ेंगे. किसानों का एक वैश्विक मंच भी होना चाहिए जो बिना किसी पूर्वाग्रह के दुनिया के किसानों की चिंता करे. 

    नए संगठन से जुड़े किसान नेता हरिराम वर्मा ने आरोप लगाया कि किसान यूनियन में लोकतंत्र नहीं बचा था. उसने किसानों की वास्तविक समस्याओं को सरकार के सामने नहीं उठाया. गठवाला मलिक खाप के अध्यक्ष राजेंद्रसिंह मलिक ने कहा कि वे किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रव का समर्थन नहीं करते. केंद्र व राज्य सरकारों के सहयोग के बिना किसानों का जीवन कहीं अधिक संकटों से भर जाएगा. किसान आंदोलन का दबाव हमेशा रहना चाहिए, जिससे किसान सरकार की योजनाओं के केंद्र में रहें. 

    भाकियू में टूट पर राकेश टिकैत ने कहा कि यह सब कुछ सरकार के इशारे पर हुआ. सरकार ने नोटिस देकर कुछ किसानों को डरा दिया. नए संगठन के नेता राजेशसिंह चौहान ने भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत और उनके भाई भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत पर राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाया और कहा कि ये लोग कुछ चाटुकारों के बीच फंस गए, जिसकी वजह से वे किसानों के मुद्दे से भटक गए.