श्रीलंका और पाकिस्तान में आर्थिक के साथ ही बिजली संकट

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    भारत के 2 पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान बुरी तरह कंगाली के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं. वहां की जनता भीषण अभाव से जूझ रही है. अदूरदर्शी नेतृत्व व गलत नीतियों की वजह से विकट आर्थिक संकट आ गया है, जिसका हल किसी के भी पास नहीं है. श्रीलंका में ईंधन की भारी कमी की वजह से सरकार ने सभी स्कूलों और ऑफिसों को बंद कर दिया है. सरकारी कर्मचारियों को भी कार्यालयों में आने से मना कर दिया गया. यह अभूतपूर्व और हैरत में डालनेवाली स्थिति है. 

    श्रीलंका की दुर्दशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां की 2.20 करोड़ की आबादी में 50 लाख लोग भूखे हैं. हर 4 में से एक आदमी भोजन के लिए तरस रहा है. वहां 1 दिन में 13 घंटे बिजली कटौती करने की नौबत आ गई है. 1948 में अपनी आजादी के बाद से पहली बार श्रीलंका को इतने खराब आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. यद्यपि कोरोना संकट नहीं है, फिर भी शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए कहा गया है क्योंकि वाहनों के लिए ईंधन नहीं है. 

    सरकारी अधिकारियों को अगले 3 माह तक हर सप्ताह 1 अनिवार्य छुट्टी देने को मंजूरी दी गई है. केवल हेल्थ सेक्टर के कर्मचारी कार्यस्थलों पर काम कर सकेंगे जबकि नॉन-इमरजेंसी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी लंबी छुट्टियों पर जा सकते हैं. लंका के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है. यह बात अलग है कि भारत ने मानवीय आधार पर उसकी काफी मदद की है. 

    पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार का खजाना खाली है. टुटपुंजिए जैसी हालत हो गई है. बौखलाहट में पाक सरकार विचित्र फैसले ले रही है. पहले वहां लोगों से चाय कम पीने की अपील की गई क्योंकि चाय की पत्ती इम्पोर्ट करना दूभर हो गया है. अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने बिजली बचाने के लिए कराची सहित सभी बड़े शहरों में सारे शॉपिंग मॉल्स, बाजार, शादीघर और रेस्तरां रात 9 बजे पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया है. 

    राजधानी इस्लामाबाद में भी रात 10 बजे के बाद कोई शादी नहीं होने देने, शादी में सिर्फ 1 डिश परोसने का आदेश है. पेट्रोल बचाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को सप्ताह में 2 दिन की अलग से छुट्टी दी रही है. जब श्रीलंका और पाकिस्तान के हालात इतने खराब हैं तो छोटे-मोटे उपाय से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है.