editorial After the accidents of celebrities, Cyrus Mistry, Rishabh Pant car accident NHAI realizes to improve the road

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    सड़कों के निर्माण और रखरखाव को लेकर यदि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सचमुच गंभीर होता तो इतनी अधिक दुर्घटनाएं नहीं होतीं! यह तो तकनीकी जानकार ही बता सकते हैं कि क्या इन सडकों की डिजाइन दोषपूर्ण रहती है अथवा उनमें इस्तेमाल निर्माण सामग्री घटिया होती है.

    महामार्ग निर्माण के अल्प समय बाद ही वहां गहरे गड्ढे क्यों हो जाते हैं? इसका संतोषजनक जवाब मिलना चाहिए. सारा दोष वाहन चालक का नहीं होता. यदि सड़क ऊबडखाबड़ हो या अचानक कोई गड्ढा सामने आ जाए तो हादसे का अंदेशा बना रहता है. सड़क को बनाकर छोड़ देना काफी नहीं है. उसका नियमित निरीक्षण और रखरखाव होना ही चाहिए.

    मेंटनेंस का ध्यान रखना ठेकेदार की जिम्मेदारी है और एनएचएआई को भी इसकी पूरी फिक्र होनी चाहिए. देखा जा रहा है कि सड़क दुर्घटनाएं काफी बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रही हैं. इन्हें टालने के यथासंभव प्रयास होने चाहिए. ट्राफिक के नियम-कानूनों को सख्ती से लागू करना एक पहलू है लेकिन दूसरी ओर सड़के भी मजबूत और भरोसेमंद रहनी चाहिए. यदि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में तेजी लाई जा रही है तो उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है.

    असंवेदनशीलता इतनी है कि सड़क हादसे में आम आदमी मर भी जाए तो कुछ नहीं होता. इसे समाान्य सी अथवा रोजमर्रा की घटना मानकर अनदेखी कर दी जाती है. इसके विपरीत यदि किसी चर्चित हस्ती के साथ हादसा होता है तो एनएचएआई को होश आता है और फिर वह दुरूस्ती करवाता है. यह हमेशा का अनुभव रहा है. आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं है लेकिन किसी विख्यात व्यक्ति के साथ दुर्घटना हुई तो तुरंत काम करने की एनएचएआई की बेतुकी कार्यप्रणाली है. टाटा समूह के साइरस मिस्त्री के पुल हादसे में मौत के बाद रास्ते को ठीक किया गया.

    वहां चौड़े रास्ते के बाद अचानक संकरा पुल था. स्पीड में आती गाड़ी को इससे दिक्कत होती थी. इसी प्रकार भारतीय क्रिकेट टीम के विकेट कीपर और बल्लेबाज ऋषभ पंत के कार दुर्घटना में घायल होने के बाद तुरंत जानलेवा गड्ढे बुझाए गए. जब पंत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी को बताया कि महामार्ग पर उन्हें गड्ढा नजर आया. उससे बचने के प्रयास में उन्होंने कार से नियंत्रण खो दिया तो पीएम ने तुरंत इस शिकायत पर एक्शन लिया और दुर्घटनास्ीाल के पास के गड्ढों को बर दिया गया.

    इस तरह पुलिस का यह दावा गलत साबित हुआ कि नींद का झोंका आ जाने से पंत ने वाहन पर नियंत्रण खो दिया था और इसीलिए गाड़ी डिवाइडर से जा टकराई थी. उस जगह गड्ढे पाए गए और उन्हें भरने का काम किया गया. यदि पहले ही गड्ढे बुझाए जाते तो दुर्घटना टाली जा सकती थी.