Editorial China's real face exposed, Asia's richest man forced to live secretly

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    चीन की सरकार और सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अपनी तनिक भी आलोचना या असहमति बर्दाश्त नहीं करती. ऐसे आलोचक को गायब कर जेल में ठूंस दिया जाता है जहां से वह कभी बाहर न निकल सके अथवा उसकी हत्या करवा दी जाती है. लौह कपाट या आयरन कर्टनवाले तानाशाही देशों का यही हाल है. वहां सरकार के डर से सभी खामोश रहकर जुल्म और प्रतारणा सहते हैं. किसी को मुंह खोलने, शिकायत करने या सुझाव देने की जरा भी छूट नहीं है. अन्य लोकतांत्रिक देशों के समान वहां अभिव्यक्ति का अधिकार बिल्कुल भी नहीं है.

    पिछले दिनों चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक से पूर्व राष्ट्रपति वेन जिया बाओ को जबरन बाहर ले जाया गया था क्योंकि उनके विचार वर्तमान राष्ट्रपति शीजिन पिंग से अलग थे. चीन में जरा भी सहिष्णुता नहीं है. इस कठोर और निर्मम शासनतंत्र के सामने हर कोई मजबूर है. चीन में जिनपिंग सरकार की आलोचना के बाद गायब हुए जानी मानी ई-कामर्स कंपनी अलीबाबा के संस्थापक और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति माने जानेवाले जैक मा टोकियो में पाए गए.

    चीन सरकार ने जैक मा की एक कंपनी ‘एंट ग्रुप’ के सबसे बड़े आईपीओ को भी रोक दिया था और अरबों डॉलर का जुर्माना लगाया था. आशंका थी कि चीन सरकार उनकी हत्या करा सकती है. इस घटना के बाद जैक मा होशियारी से गायब हो गए व सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए. नवंबर 2021 में उन्होंने आखिरी ट्वीट किया था और 2021 में उनका वीडियो सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि महामारी खत्म होने के बाद हम दोबारा मिलेंगे.

    अभी वे जापान में छुप छुप कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं जहां वे समय गुजारने के लिए वाटर कलर पेंटिंग करते हैं. चीन सरकार के निशाने पर आने के बाद वे स्पेन और नीदरलैंड चले गए थे. जैक मा का कसूर यह था कि उन्होंने एक मीटिंग में चीनी बैंकों की आलोचना करते हुए कहा था कि ये बैंक फंडिंग के लिए कुछ गिरवी रखने की मांग करते हैं. इस वजह से नई तकनीकों को फंड नहीं मिल पाता और नए प्रयोग रूक जाते हैं. हकीकत को बयान करना उन्हें महंगा पड़ा. सिस्टम की नुक्ताचीनी करने का नतीजा यह निकला कि यह बहुत बड़ा अरबपति जापान में लो प्रोफाइल में रहने को बाध्य है.