editorial Claiming not to have degree, Manoj Sinha's misrepresentation on Mahatma Gandhi

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जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति भी यदि किसी महापुरुष के संबंध में मनमाना, बेतुका और विवादित बयान देते हैं तो आश्चर्य ही नहीं, क्षोभ भी होता है. या तो ऐसे लोगों को उस महान विभूति के संबंध में तथ्यों की सही-सही जानकारी नहीं होती अथवा वे जानबूझकर गलतबयानी कर जनता को गुमराह व भ्रमित करते है. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आईटीएम ग्वालियर में आयोजित राममनोहर लोहिया व्याख्यानमाला में कहा कि शिक्षा डिग्री से अधिक महत्वपूर्ण होती है. अधिकतर लोगों को भ्रांति है कि महात्मा गांधी के पास लॉ की डिग्री थी लेकिन सच्चाई यह है कि उनके पास कोई डिग्री नहीं थी. मनोज सिन्हा के इस सरासर बेतुके दावे का करारा जवाब महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने दिया.

उन्होंने ट्वीट किया कि बापू ने 2 जगह से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. अल्फ्रेड हाईस्कूल राजकोट के अलावा लंदन में भी मैट्रिकुलेशन किया था. इसके बाद उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से संबध्द विधि महाविद्यालय इनर टेम्पल से कानून की डिग्री ली थी. इसके अलावा उन्होंने लैटिन और फ्रेंच में 2 डिप्लोमा हासिल किए थे. तुषार गांधी ने तो सिन्हा को जवाब दे दिया लेकिन यह तथ्य सभी के सामने है कि स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेनेवाले अधिकांश प्रमुख नेता काफी पढ़े-लिखे और कानून के गहरे जानकार थे.

महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, विट्ठलभाई पटेल, आसिफ अली सभी बैरिस्टर थे. इनके अलावा डा. आंबेडकर और मोहम्मद अली जिन्ना भी बैरिस्टर थे. महात्मा गांधी ने लंदन से बैरिस्टरी पास करने के बाद दक्षिण अफ्रीका में वकालत की थी. यदि मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग पढ़ी होती तो उन्हें बापू के लंदन जाने और कानून की डिग्री लेकर बैरिस्टर बनने की पूरी जानकारी रहती 1891 में बापू को बार-ऐटी-लॉ का सर्टिफिकेट जारी हुआ था. इनर टेम्पल में उनके दाखिले का दस्तावेज भी है इसका नंबर 7910 हैं उसमें एडमिशन का खर्च, स्टैम्प ड्यूटी और ट्यूशन फीस का जिक्र है.

मुश्किल यह है कि संघ और बीजेपी के प्रति रुझान रखनेवाले नेताओं की महात्मा गांधी के प्रति जानकारी अत्यंत सीमित है अथवा वे अपनी जानकारी बढ़ाना भी नहीं चाहते. आज भी ऐसे व्यक्ति लाखों की तादाद में मौजूद हैं जिन्होंने स्कूल में पढ़ते समय ‘लाइफ आफ ए ग्रेट मैन’ के अंतर्गत महात्मा गांधी पर निबंध लिखा था. महात्मा गांधी जैसी विश्वविख्यात हस्ती की शैक्षणिक योग्यता के बारे में एक उपराज्यपाल को जानकारी नहीं होना विस्मय में डालता है ऐसे बयान से गांधी के प्रति पूर्वाग्रह भी दिखाई देता है.