editorial Introduction of digital currency, utility of e-rupee in retail business

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    लोगों को डिजिटल करेन्सी के प्रति शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) शुरू की है. अब तक 4 बैंक और 4 शहरों को ई-रुपी चलाने के लिए चुना गया है. इसके लिए 1.71 करोड़ रुपए की रकम ई-रुपी के तौर पर जारी की गई है. इसे रिजर्व बैंक क्रमगत तरीके से लोकप्रिय बनाएगा ताकि वर्तमान रकम भुगतान और समायोजन की प्रणाली में बाधा न आने पाए. शुरूआत में ई-रुपी एक समूह के बीच व्यक्ति से व्यक्ति (पर्सन टु पर्सन) तथा व्यक्ति से व्यापारी (पर्सन टु मर्चेंट) के तौर पर रहेगा. इसके उपयोगकर्ता (यूजर) बैंक द्वारा दिए गए वालेट को अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड करेंगे. इससे उपयोगकर्ता ई-रुपी जमा कर सकेगा. किसी दूकानदार या व्यापारी को भुगतान करते समय व्यापारी के क्यूआर कोड़ को मोबाइल पर स्कैन करना होगा.

    1 दिसंबर को नई दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू और भुवनेश्वर में ई-रुपी लांच किया गया. इसके लिए खुदरा क्षेत्र में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक व यस बैंक को जिम्मेदारी दी गई. अगले चरण में ई-रुपी का चलन अहमदाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, गंगटोक, इंदौर, कोच्चि, पटना, शिमला और लखनऊ में किया जाएगा. यद्यपि रिजर्व बैंक ने अभी ई-रुपी के लिए 1.71 करोड़ रुपए जारी किए हैं लेकिन यदि उपभोक्ताओं की मांग बढ़ी और बैंक राजी हुए तो और अधिक ई-रुपी की सप्लाई की जा सकती है. अगले चरण में फूड डिलीवरी एप्स तथा अन्य दूकानदारों को भी इससे भुगतान किया जा सकेगा.

    शुरुआत में रिजर्व बैंक 50,000 ग्राहकों और व्यापारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. ई-रुपी खुदरा बाजार में पेटीएम को कड़ी टक्कर दे सकता है. दूसरी ओर मुद्दा यह भी है कि थोक व्यापार इसे किस रूप में लेगा? इस प्रोजेक्ट में शामिल बैंकर इसे आकर्षक नहीं मान रहे हैं. उन्हें लगता है कि ई-रुपी की वजह से उनका कागजी कामकाज व अकाउंटिंग का काम बढ़ जाएगा और कोई खास फायदा भी नहीं होगा. कई सारे लेन-देन हो जाने के बाद क्लीयरिंग हाउस ट्रेड सेटलमेंट हुआ करता है लेकिन ई-रुपी के मामले में हर लेन-देन में अलग सेटलमेंट होगा. व्यापारी के लिए ई-रुपी नेटबैकिंग के समान ही होगा. यह प्रणाली सिर्फ खुदरा और उपभोक्ता क्षेत्रों में ही उपयोगी है.