editorial New initiative in centenary year, now women branches will also open in RSS

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कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी पार्टियां आरोप लगाया करती थीं कि आर एस एस की मानसिकता महिलाओं से भेदभाव करने की रहती है. इस संगठन में सिर्फ पुरुषों को ही प्रवेश है. ऐसी बयानबाजी करते समय विपक्ष इस बात से अनजान था कि संघ परिवार में राष्ट्रसेविका समिति का भी समावेश है. उसमें महिलाएं राष्ट्रीय भावना और सांस्कृतिक उद्देश्यों को लेकर अनुशासनपूर्वक सक्रिय है. दीर्घकाल तक मावशी केलकर राष्ट्रसेविका समिति की प्रमुख रहीं. लंबे समय तक संघ ने मीडिया में प्रचार से अपनी दूरी बनाए रखी इस वजह से राष्ट्रसेविका समिति को लेकर कई लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाई. अब एक नए विकासक्रम के तहत संघ कुछ नए उल्लेखनीय कदम उठाने जा रहा है.

आरएसएस की स्थापना 1925 में डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. 2024 में संघ अपना शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है जिसे लेकर विभिन्न बदलावों की संकल्पना है. पानीपत के समालेखा में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की त्रिदिवसीय बैठक में पहले ही दिन एक बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की गई कि अब आरएसएस में महिलाओं की शाखाएं लगनेवाली हैं. संघ के सहकार्यवाह (मुख्य सचिव) मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ में महिलाओं के प्रवेश को लेकर पहले भी विचार-विमर्श चलता रहा है लेकिन इस बार इस संबंध में निर्णय ले लिया गया.

उल्लेखनीय है कि एमएस गोलवलकर गुरुजी, बालासाहब देवरस, रज्जू भैया, सुदर्शन के सरसंघ चालक रहते आरएसएस की प्रगति होती रही लेकिन पिछले एक दशक में उसका काफी विस्तार हुआ है. डा. मोहन भागवत के सरसंघ चालक रहते विविध क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ी है. मनमोहन वैद्य ने बताया कि पहले संघ की 42,613 शाखाएं लगती थीं जिनकी संख्या अब बढ़कर 68,651 हो गई है. हर सप्ताह संघ की 26,877 बैठकें हुआ करती हैं. संघ की शाखा में ध्वज प्रणाम, एकात्मता मंत्र, व्यायाम, खेल, बौद्धिक इत्यादि का समावेश होता है. ज्येष्ठ, तरुण व बाल स्वयंसेवकों की शाखाएं चलती हैं.

विदेश में आरएसएस की शाखाएं एचएसएस (हिंदू स्वयंसेवक संघ) नाम से संचालित होती हैं. संघ का तीन वर्षीय अधिकारी प्रशिक्षण वर्ग होता है. उसके प्रचारक देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर कार्य करते हैं. संघ स्वयं को राजनीति से अलिप्त बताता है लेकिन उसके स्वयंसेवकों को छूट है कि वे अपनी रुचि के अनुसार किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो सकते हैं. स्वयंसेवकों के संस्कार ऐसे होते है कि वे बीजेपी में शामिल होना पसंद करते हैं. वे अन्य क्षेत्रों में भी सेवा दे सकते हैं जैसे शिक्षा भारती, उद्योग भारती, वनवासी कल्याण आश्रम आदि!