editorial organization-of-islamic-countries-group-said-that-kashmir-is-on-the-top-priority-of-the-oic-agenda

    Loading

    अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर प्रश्न भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है. इसमें किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी कदापि स्वीकार्य नहीं है. न हम किसी देश का हस्तक्षेप चाहते हैं न किसी संगठन का! इसमें कोई भी बिचौलिया बनने या नाक घुसेड़ने की कोशिश न करे. भारत सिर्फ यही चाहता है कि पाकिस्तान ने कश्मीर का जो हिस्सा अपने अवैध कब्जे में ले रखा है, उस पीओके को भारत को लौटा दे. इसके अलावा पाक ने गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका भी चीन को सौंपा है जो कि भारत को वापस मिलना चाहिए.

    कश्मीर विवाद में जबरदस्ती टांग अड़ानेवाले ओआईसी (आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने कहा कि उनका संगठन कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रास्ता ढूंढने के लिए एक योजना पर काम कर रहा है. हम पाकिस्तान सरकार और अन्य इस्लामिक देशों के साथ मिलकर इसके लिए एक खाका तैयार करने में जुटे हैं. ओआईस 57 मुस्लिम देशों का संगठन है जिस पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का वर्चस्व है. इसका मुख्यालय भी सऊदी अरब के जेद्दा में है. ताहा ने दावा किया कि ओआईसी के ऊपर कश्मीर मुद्दे को लेकर बातचीत और हल खोजने की सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों तरह की जिम्मेदारी है. भारत ने ओआईसी के इस गैरजरूरी और अवांछित पैतरे को भांपते हुए उसके महासचिव ताहा की पीओके यात्रा को लेकर कड़ी निंदा की और सख्त शब्दों में भारत-पाक के आंतरिक मामलों से दूर रहने की हिदायत दी.

    भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि आईओसी महासचिव दुर्भाग्य से पाकिस्तान के मुखपत्र बन गए हैं. भारत के अभिन्न और अविभाज्य हिस्से जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामलों में ओआईसी का कोई अधिकार नहीं है. भारत के आंतरिक मामलों में उसके हस्तक्षेप करने या दखल देने का कोई भी प्रयास पूरी तरह अस्वीकार्य है. आईओसी के सदस्य देश भी जानते हैं कि टुटपुंजिया पाकिस्तान की तुलना में भारत उनके लिए अधिक उपयोगी है जिसके साथ उनके व्यापक व्यापार संबंध हैं तथा विविध क्षेत्रों में पिछले अनेक दशकों से सहयोग बना हुआ है. भारत की कीमत पर वे पाकिस्तान की मदद करने से पहले 10 बार सोचेंगे.