editorial president-election-uddhav thackeray-announces-his-support-to-nda-candidate-droupadi-murmu Different paths of NCP and Shiv Sena

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    महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी के घटक दलों का चिंतन और दृष्टिकोण कभी एक सा नहीं रहा लेकिन पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली सरकार में सत्ता की साझेदारी करने और बीजेपी को पॉवर से दूर रखने के मुद्दे पर वे एक साथ थे. एनसीपी ने उद्धव को सीएम रखकर स्वयं प्रमुख विभाग अपने पास रखे थे और कांग्रेस इसलिए खुश थी क्योंकि उसे सरकार में शामिल होने का मौका मिला था. अब राष्ट्रपति चुनाव की बेला में आघाड़ी के घटकों की मतभिन्नता सामने आ गई है.

    आघाड़ी सरकार गिरने के 2 सप्ताह बाद उद्धव ठाकरे ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पहले ही राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को अपनी पार्टी का समर्थन देने की घोषणा कर दी थी. कांग्रेस भी निश्चित रूप से यशवंत सिन्हा को ही समर्थन देगी लेकिन शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मजबूरी में बीजेपी समर्थित एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की.

    माना जाता है कि शिवसेना सांसदों के दबाव की वजह से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उद्धव नरम पड़ गए. समझा जा रहा है कि शिवसेना में विधायकों के बाद अब सांसदों की बगावत को रोकने के लिए उद्धव ठाकरे ने इस तरह का फैसला लिया. वह नहीं चाहते कि पार्टी में एक और विभाजन हो. यह बात अलग है कि पत्र परिषद में उद्धव ने कहा कि पार्टी सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के लिए उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया. पार्टी नेताओं की भावना और एक आदिवासी महिला नेता को प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से उन्होंने मुर्मू को समर्थन देने का फैसला किया.

    माना जा रहा है कि शिवसेना सांसदों का उद्धव पर काफी दबाव है. पहले तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने की मांग उद्धव से मनवा ली, इसके बाद उन पर बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए दबाव बढ़ा दिया गया है. शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे का कहना है कि बीजेपी हमारी स्वाभाविक सहयोगी है. केंद्र और राज्य के एक साथ होने से विकास योजनाओं को गति मिलेगी. उन्होंने दावा किया कि उद्धव ने हमारी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है.