editorial telangana-likely-to-reach-50-of-urban-population-by-2025

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    दक्षिण भारत के पांचों राज्य विकास के लिहाज से यूपी, बिहार व मध्यप्रदेश जैसे हिंदीभाषी राज्यों से आगे रहे हैं. इसकी वजह अधिक साक्षरता, उद्योगों का विकास, कृषि पर ध्यान तथा लोगों की तरक्की की आकांक्षा है. तेलंगाना व आंध्रप्रदेश के कितने ही लोग अमेरिका की आईटी इंडस्ट्री में कार्यरत हैं. केरल के अधिकांश परिवारों का कोई न कोई सदस्य खाड़ी देशों में काम कर रहा है. वहां से विदेशी मुद्रा भेजता है. केरल भारत का पूर्ण साक्षर राज्य है.

    तमिलनाडु पहले से शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रहा है. इन राज्यों का विकास इसलिए भी हुआ है कि वहां की आबादी उत्तरी राज्यों की तुलना में कम है, इसलिए प्रति व्यक्ति औसत आय अधिक है. विगत दशकों में इन राज्यों के नेतृत्व ने उद्योगों के विकास पर काफी ध्यान दिया, इससे लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिला और आमदनी भी बढ़ी. जहां तरक्की होती है, वहां शहरीकरण की गति भी तीव्र हो जाती है. तेलंगाना की विशेषता यह है कि वह सभी राज्यों की तुलना में ढाई दशक आगे है.

    वहां की लगभग 50 फीसदी आबादी 2025 तक शहरी क्षेत्रों में रहने की संभावना है. यदि समूचे भारत का आकलन किया जाए तो देश में शहरी जनसंख्या का राष्ट्रीय औसत कुल आबादी का 31.16 प्रतिशत था, जबकि इसी अवधि में तेलंगाना ने अपनी कुल जनसंख्या में 46.8 प्रतिशत शहरी आबादी दर्ज की थी.

    केवल 2 दक्षिणी राज्य तमिलनाडु और केरल तेलंगाना से आगे हैं. तमिलनाडु की शहरी आबादी 48.45 प्रतिशत और केरल की शहरी जनसंख्या 47.23 प्रतिशत है. नीति आयोग मानता है कि शहर आर्थिक विकास का इंजन होते हैं. शहरी क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों की वजह से रोजगार और आय का स्तर बढ़ता चला जाता है. मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में तेलंगाना लगातार प्रगति के नए सोपानों का स्पर्श कर रहा है.